विश्व रक्तदान दिवस। दुनियाभर में रक्तदान की अलख जला रहा सर्वधर्म संगम डेरा सच्चा सौदा, अब तक 425549 यूनिट रक्त मानवता को समर्पित
सरसा (संदीप कम्बोज)। रक्त जिंदगी का आधार है। हवा ना मिले तो इंसान मर जरूर जाता है लेकिन अगर रक्त का प्रवाह और बनने की प्रणाली काम करना बंद कर दे तो इंसान की मौत और भी दर्दनाक होती है। जिंदगी का यह अनमोल रत्न भगवान ने हर किसी के अंदर प्रवाहित किया है लेकिन कभी एक्सीडेंट तो कभी किसी बीमारी की चपेट में आकर अक्सर लोग खून की कमी की वजह से दम तोड़ देते हैं। कई बार जिंदगी के दीपक सिर्फ इसलिए बुझ जाते हैं क्योकि उन्हें कुछ यूनिट खून नहीं मिल पाता। मानवता भलाई कार्यों में अग्रणीय सर्वधर्म संगम डेरा सच्चा सौदा भी दुनिया को नियमित रक्तदान के प्रति जागरूक करता आ रहा है। पूज्य गुरू संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन प्रेरणाओं पर चलते हुए दुनिया के कोने-कोने में बैठी डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत नियमित रक्तदान कर रही है। इन चलते-फिरते ब्लड पंपों ने दुनियाभर में अब तक अपने ख्ूान से लाखों जरूरतमंदों व बीमारों के जीवन की तकदीर लिखी है। समय-समय पर भारतीय सेना के साथ-साथ पत्रकारों, पुलिस कर्मियों, थैलेसीमिया व एड्स रोगियों के अलावा देश और दुनियाभर में जरूरतमंद लोगों को रक्त की आपूर्ति करने में विश्वविख्यात डेरा सच्चा सौदा ने अब तक 425549 यूनिट रक्तदान किया जा चुका है। इसके अलावा साध-संगत अपने ब्लॉकों व गांवों में जो रक्तदान करती है, सो इस आंकड़े से अलग है।
रक्तदान के क्षेत्र में चार गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड
मानवता भलाई कार्यों को समर्पित विश्वविख्यात सर्व धर्म संगम डेरा सच्चा सौदा के नाम 17 गिजि वर्ल्ड रिकॉर्डों में से चार गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड रक्तदान के क्षेत्र में हैं। ट्रयू ब्लड पैंप के रूप में जाने जाने वाला डेरा सच्चा सौदा ने भारतीय सैना व अन्य जरूरतमंद लोगों को अब तक 4 लाख 25 हजार 549 यूनिट रक्त देकर लोगों की जान बचाई है। इसके अलावा एक ही दिन में 43 हजार 732 यूनिट रक्तदान का विश्व कीर्तिमान भी डेरा सच्चा सौदा के नाम है। विगत वर्ष 12 अप्रैल 2014 को नई दिल्ली समेत देशभर में 100वीं मस्तो-मस्त रूहानी रूबरू नाईट की डायमंड जुबली के उपलक्ष्य में आयोजित विशाल रक्तदान शिविर में एक ही दिन में 77,777 यूनिट रक्तदन किया गया था। उल्लेखनीय है कि भारतीय सेना की 90 प्रतिशत रक्त की जरूरत डेरा सच्चा सौदा द्वारा पूरी की जाती है जिसके लिए भारतीय सेना की आर्म्स आॅफ टॉसफ्यूजन सैंटर की टीम हर माह आश्रम से आवश्यक्तानुसार रक्त एकत्रित कर ले जाती है।
एक-दो नहीं,लाखों मिसालें हैं यहां
खुशी हो या गम, करते हैं रक्तदान का प्रण
शादी वाले दिन रक्तदान, कोई अपना इस दुनिया से चला चला जाए तो रक्तदान। शादी की सालगिरह हो या हो बच्चे का जन्मदिन। मानवता के ये सच्चे प्रहरी इन अवसरों पर तो रक्तदान करते हैं ही साथ ही कोई नियमित रक्तदान का प्रण लेता है तो कोई जीते जी गुर्दादान व मरणोपरांत आंखेंदान का। डेरा सच्चा सौदा के सेवादारों में यह जज्बा कोई नया नहीं है। मानवता के ये सच्चे प्रहरी हर सु:ख-दुख के मौके पर भी मानवता भलाई करना नहीं भूलते।
लारजेस्ट हुॅमन ड्रॉपलेट् के तहत रक्त बूंद
शाह सतनाम जी ग्रीन एस वैलफेयर फोर्स विंग के हजारों सेवादारों ने रक्तदान के प्रति आमजन को जागरूक करने के लिए विगत 24 मार्च 2013 को लारजेस्ट हुॅमन ड्रॉपलेट् के तहत रक्त बूंद बनाकर संदेश भी दिया। डेरा सच्चा सौदा के संस्थापक बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज के पावन अवतार माह के उपलक्ष्य में शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेलफेयर फोर्स विंग के तत्वावधान में आयोजित लारजेस्ट हुॅमन ड्रॉपलेट् इवेंट में लाल रंग की टी शर्ट व कैप पहने 10 हजार 500 सेवादारों ने करीब 24 हजार स्कवेयर फुट में रक्त बूंद बनाई। सेवादारों ने रक्तदान करने की प्रतिबद्धा को दोहराया साथ ही रक्तदान करने के लिए आमजन को प्रेरित करने का भी प्रण लिया।
....ताकि दूर हों भ्रांतियां
स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ष 1997 से 14 जून को विश्व रक्तदाता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। इस मुहिम के पीछे मकसद विश्वभर में रक्तदान की अहमियत को समझाना था लेकिन दुनियां के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में इस मुहिम को उतना प्रोत्साहन नहीं मिल पाया जितना की अपेक्षित है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण लोगों में फैली भ्रांतियां हैं, जैसे कि रक्तदान से शरीर कमजोर हो जाता है और उस रक्त की भरपाई होने में काफी समय लग जाता है। इतना ही नहीं यह गलतफहमी भी व्याप्त है कि नियमित खून देने से लोगों की रो प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाने के कारण बीमारियां जल्दी जकड़ लेती हैं। ऐसी मानसिकता के चलते रक्तदान लोगों के लिए हौवा बन गया है जिसका नाम सुनकर ही लोग सिहर उठते हैं। ऐसी ही भ्रांतियों को दूर करने के लिए पूज्य गुरू संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां रूहानी सत्संगों व रक्तदान शिविरों के माध्यम से समय-समय पर आमजन को नियमति रक्तदान के प्रति जागरूक करते आ रहे हैं।
क्यों करें रक्तदान
देश-दुनिया के अस्पतालों में रोजाना लाखों-करोड़ों यूनिट खून की जरूरत होती है। कई मरीजों की मृत्यु ही अत्यधिक रक्तस्राव से हो जाती है। आपके द्वारा दान किया गया खून किसी को जीवनदान दे सकता है।
- दुर्घटना में चोट लगने पर रक्तस्राव की कमी को दूर करने में
- आॅपरेशन के दौरान हुए रक्तस्राव की कमी को पूरा करने में
- खून से संबंधित विकृति जैसे हेमोफीलिया से पीड़ित लोगों की जिंदगी बचाने में
- जले हुए मरीजों की जिंदगी बचाने में। आपके खून से प्लाज्मा निकालकर ऐसे मरीजों के शरीर में डाला जाएगा।
- किडनी, कैंसर और एनीमिया से पीड़ित मरीजों के शरीर में हेमोग्लोबिन के सही स्तर को बरकरार रखने में।
थैलीसिमया के मरीजों के लिए
कितना वक्त लगता है रक्तदान में
रक्तदान में एक बार में सिर्फ एक यूनिट खून लिया जाता है। एक यूनिट खून का मतलब है, 350 मिली खून। औसतन हमारे शरीर में पांच से छह लीटर खून होता है। हमारा शरीर 24 से 48 घंटे के भीतर खून की इस कमी को पूरा कर लेता है। वहीं, लाल रक्त कोशिकाओं की कमी को पूरा करने में 7 से 10 दिनों का वक्त लगता है। एक यूनिट रक्तदान करने में पांच से छह मिनट का वक्त लगता है।
क्या आप हैं रक्तदान के योग्य?
आप अगर रक्तदान करने जा रहे हैं तो यह आपकी जिम्मेदारी है कि आप न सिर्फ अच्छी क्वालिटी का रक्त दान करें, बल्कि साथ ही साथ अपनी सेहत का भी ध्यान रखें।
- आपकी उम्र 18 साल से ज्यादा और 60 साल से कम हो
- वजन से 50 किलो से ज्यादा होना चाहिए
- आपको किसी तरह की संक्रामक बीमारी जैसे सर्दी-जुकाम और क्रोनिक बीमारी जैसे डाइबिटीज आदि न हो
- आपके खून में हीमोग्लोबिन का स्तर 12.5 से कम न हो।
- रक्तदान के वक्त आपके शरीर का तापमान और रक्तचाप सामान्य होना जरूरी है
- पिछले 48 घंटों में आपने कोई दवा न ली हो
- गर्भवती या बच्चे को स्तनपान करवाने वाली महिलाएं भी रक्तदान नहीं कर सकती।
- पिछले छह माह में आपका किसी तरह का आॅपरेशन नहीं होना चाहिए
- दिल, किडनी, लीवर से जुड़ी कोई बीमारी है या फिर अस्थमा, खून से जुड़ी किसी बीमारी से पीड़ित भी खूनदान नहीं कर सकते
- मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को रक्तदान करने से बचना चाहिए।
रक्तदान के बाद क्या करें
- रक्तदान के बाद कई लोगों का रक्तचाप थोड़ा कम हो जाता है और हल्का चक्कर भी महसूस होता है। अगर आप भी ऐसा महसूस कर रहे हैं तो रक्तदान के बाद थोड़ी देर बैठें। रक्तदान के बाद आपको जो रिफ्रेशमेंट खाने के लिए दिया जा रहा है उसे खा लें।
- रक्तदान के आधे घंटे बाद काम कर सकते हैं। सिर्फ रक्तदान के तुरंत बाद कठिन व्यायाम करने से बचें।
- रक्तदान के बाद खानपान में कोई पाबंदी नहीं होती और न ही ताकत बढ़ाने वाले पदार्थ खाने की जरूरत है।
रोजाना 38 हजार यूनिट खून की जरूरत
रक्त का उपहार जीवन का उपहार है। मानव रक्त का कोई विकल्प नहीं है क्योंकि खून का किसी भी प्रकार से उत्पादन नहीं किया जा सकता, इसलिए यह सिर्फ और सिर्फ मानवजाति पर ही निर्भर है। आप जानकर हैरान होंगे कि भारतवर्ष में हर साल रक्त की लगभग 250 सीसी की 4 करोड़ यूनिट की आवश्यकता पड़ती है जबकि 50 लाख यूनिट ही रक्त उपलब्ध हो पाता है। हर सेकंड कोई न कोई खून के अभाव में मौत से लड़ रहा होता है और रोजाना की अगर बात करें तो देश के अस्पतालों में हर दिन 38 हजार यूनिट रक्त की जरूरत पड़ती है और प्रत्येक साल 30 लाख लाल रक्त कोशिका चढ़Þाई जाती है। आंकड़ों के मुताबिक 25 प्रतिशत से अधिक लोगों को अपने जीवन में खून की जरूरत पड़ती है।
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