आओ मिलकर बचाएं बेजुबानों को


                                         विश्व पशु कल्याण दिवस पर विशेष

दुनियाभर को पशु व पक्षी प्रेम का संदेश देते आ रहे हैं पूज्य गुरू संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां


संदीप कम्बोज/सरसा। दिल दहला देने वाली शेरों की दहाड़, हिरणों की कुलाचें, कोयल की कू-कू, बुलबुल का मधुर गीत, मोर का सुंदर नृत्य व घर की मुंडेर पर पक्षियों की चहचहाहट, ये सभी दृश्य कभी ‘अद्भुत भारत’ के लिए सामान्य बात थी। ताबड़तोड़ काटे जा रहे वन क्षेत्र, उस पर खडेÞ होते कंक्रीट के जंगल, वन्य जीवों के अवैध शिकार व वायु प्रदूषण के कारण हवा में विभिन्न प्रकार की जानलेवा गैसों की वजह से कई वन्य जीवों व पक्षियों का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। वर्ल्ड वाइल्ड फंड (डब्लूडब्लूएफ) फॉर नेचर के अनुसार कुछ पशु-पक्षी तो विलुप्त हो गए हैं और कई ऐसे भी हैं जो विलुप्तता की कगार पर हैं। लंबा समय नहीं बीता है जब हम अपनी खिड़कियां खोलते थे तो हमारी अलसाई आंखों के सामने गौरैया चिड़िया, तोते, कबूतर कौए, सोनचिरैया, कठफोड़वा आदि फुदकते नजर आते थे लेकिन आज इन परिंदों की झलक तक पाना कठिन होता जा रहा है। तो ऐसा क्या किया जाए कि हम लुप्त होती पशु-पक्षियों की इन प्रजातियों पर रोक लगाकर जीव संरक्षण करने में कामयाब हों व बुचड़खानों में बेजुबानों पर ढहाए जा रहे जुल्म व सरेआम हो रहे कत्लेआम को रोक सकें? इसके लिए दुनियाभर में मानवता भलाई कार्यों में अग्रणीय सर्वधर्म संगम डेरा सच्चा सौदा अरसे से प्रयत्नशील है। पूज्य गुरू संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां न केवल आवाम को जीव हत्या न कर पशु व पक्षियों को बचाने का संदेश देते आ रहे हैं बल्कि स्वंय भी पशु व पक्षिओं के पालक बनकर जीव संरक्षण की अनूठी मिसाल पेश कर रहे हैं। यह पूज्य गुरू जी के पावन वचनों का ही कमाल है कि अब तक देश व दुनिया के करोड़ों लोगों ने जीवन में जीव हत्या न करने व मांसाहार त्यागने का संकल्प लेकर जीव संरक्षण का अनोखा इतिहास रचा है। वहीं लुप्त हो रहे परिंदों के संरक्षण की दिशा में भी पूज्य गुरू जी का अवर्णननीय योगदान है। पक्षियों के अस्तित्व को बचाने की दिशा में पूज्य गुरू जी लोगों को घरों की छतों पर परिंडे बांधकर उनमें पानी व अनाज के दाने (चोगा)डालने की प्रेरणा देते आ रहे हैं। पूज्य गुरू जी समय-समय पर रूहानी सत्संगों के दौरान साध-संगत को सभी जीवों से प्रेम करने का संदेश देने के साथ-साथ पशु व पक्षिओं को सहेजने बारे टिप्स देते हैं और साथ ही इनसे होने वाले फायदों बारे भी अवगत करवाते हैं।  परिणामस्वरूप लाखों लोग इस मुहिम का हिस्सा बने और अपने घरों में व आस-पास परींडे आदि बांधकर पक्षियों को बचाने में मद्दगार बन रहे हैं। इस घोर कलियुग में जहां इंसान का इंसान के प्रति प्रेम सच्चा व बेगर्ज प्यार मुश्किल ही देखने को मिलता है वहीं डेरा सच्चा सौदा के सेवादारों की जीवों के प्रति अथाह मोहब्बत जमाने के लिए जीता जागता उदाहरण है। साध-संगत जहां बीमार पशु-पक्षियों का ईलाज कराकर परोपकार कर रही है वहीं हादसों का पर्याय बन रहे जिंदा व मृतक पशुओं को भी सड़कों से हटा रही है। वास्तव में यही है सच्चा पशु-पक्षी प्रेम। तो आईए हम सब आज विश्व पशु कल्याण दिवस के मौके पर मिलकर संकल्प लें कि बेजुबानों की संभाल करते हुए जीव संरक्षण में एक अमिट छाप छोड़ेंगे।



                           ...जब नागों को मिला जीवनदान

                                                अनमोल वचन जो मिसाल बन गए
बात उस समय की है जब वर्ष 1948 में डेरा सच्चा सौदा के संस्थापक पूज्य सार्इं बेपरवाह मस्ताना जी महाराज सरसा में आश्रम का निर्माण करवा रहे थे। इस दौरान सांप निकल आते तो पूज्य सार्इं जी ने फरमाया कि पुट्टर, जीव हत्या पाप है और वैसे भी ये हमें कह क्या रहे हैं, ये आपको कुछ नहीं कहेंगे। उन्हें पकड़ो और दूर ले जाकर छोड़ आओ। सेवादार वैसा ही करते। जब भी आश्रम से सांप निकलते सेवादार उसे पकड़कर दूर खेतों में ले जाकर छोड़ आते। तब से लेकर आज तक डेरा सच्चा सौदा में सांपों को मारने की बजाए पकड़कर छोड़ने की एतिहासिक परंपरा चली आ रही है। पूज्य गुरू संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने एक ऐसा यंत्र तैयार किया है जिससे सांप को आसानी से पकड़ा जा सकता है। जीव संरक्षण की ऐसी मिसाल आपने न कहीं देखी और न ही सुनी होगी। केवल सांप ही नहीं पूज्य बेपरवाह जी ने सभी जीवों से प्रेम करना सिखाया।


                                        दीवारें भी दे रही जीव संरक्षण का संदेश
डेरा सच्चा सौदा के आश्रमों व नामचर्चाघरों की दीवारों पर भी जीव संरक्षण का अद्भुत नमूना देखने को मिलता है। डेरा सच्चा सौदा के देश व दुनिया में किसी भी आश्रम या नामचर्चाघर में चले जाईए आपको दीवारों पर हाथी, बाघ, मोर, घोड़ा व अन्य कई तरह के पशु-पक्षियों की आकृतियां देखने को मिलेंगी जो कि जीव संरक्षण का एक अनूठा उदाहरण हैं।




                                        ..जब पिल्ले को मिला नया जीवन
पूज्य गुरू संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां जब शाह सतनाम जी गर्ल्ज स्कूल में ‘एमएसजी-2 द मैसेंजर’ की शूटिंग कर रहे थे तो एक रोज रात को अचानक पूज्य गुरू जी ने सेवादारों को पास के खेतों में भेजा। सेवादार जैसे ही खेतों में पहुंचे तो सामने का नजारा देख हैरान रह गए। वहां जमीन पर एक छोटा सा पिल्ला लहूलुहान अवस्था में जोर-जोर से इस कदर चिल्ला रहा था जैसे कि मदद के लिए पुकार रहा हो। अब पूज्य गुरू जी ने उसकी पुकार सुन ली थी। सेवादार उसे तुरंत पूज्य गुरू जी के पास लेकर आए तो वह पिल्ला झट से पूज्य गुरू जी के पावन चरणों के पास जा पहुंचा। पूज्य गुरू जी ने बिना किसी देरी के तुरंत उस जख्मी पिल्ले का उपचार शुरू करवाकर उसकी जिंदगी बचा ली।

                                             सरकार गौचर भूमि दे,गौशालाएं हम बनाएंगे
प्रदेश सरकार अगर गांवों में पंचायतों द्वारा छोड़ी गई गौचर भूमि को महज इस्तेमाल के लिए उपलब्ध करवा दे तो डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत भटक रही सभी गायों व अन्य जानवरों की स्वंय सार-संभाल करेगी व उन्हें पाल लेगी। इससे सड़कों पर रोज हादसों का शिकार हो रही और हादसों का सबब बन रही गायों व जानवरों को सहारा मिलेगा और उनकी जिंदगी बच सकेगी।
-पूज्य गुरू संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां

                                    बागडोर अब स्वंय सहायता समूह के कंधों पर
वन्य प्राणियों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए हरियाणा सरकार अब प्रदेश के चिड़ियाघरों व हिरण पार्कांे में वन्य जीवों को गोद लेने के साथ-साथ आम लोगों में भी जागरूकता पैदा करने की तैयारी में है। वन्य प्राणियों के संरक्षण हेतु महिलाओं की सहभागिता के लिए स्वयं सहायता समूहों का गठन किया जाएगा, जिसमें उन्हें आजीविका के साथ जोड़कर उनके योगदान को बढ़ावा दिया जा रहा है। बनसंतोर (यमुनानगर) में हाथी पुर्नवास केंद्र की स्थापना, कलेसर राष्ट्रीय उद्यान व वन्य
प्राणी विहार में कैमरा ट्रैप लगाकर वन्य प्राणियों की गणना का भी उचित प्रबंधन किया गया है। वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय उद्यानों एवं वन्य प्राणी विहारों के चारों तरफ परिस्थितिकीय संवेदनशील क्षेत्र घोषित करने की भी योजना है।

                                   हिन्दुस्तान में पक्षियों की 1250 प्रजातियां
पूरे विश्व में पक्षियों की सर्वाधिक 1250 प्रजातियां भारत में पाई जाती हैं जिनमें से लगभग 500 प्रजातियों के पक्षी हरियाणा में पाए जाते हैं। कुल 176 ऐसे पक्षियों की प्रजातियां हैं, जो दुनिया में और कहीं पर भी देखने में नहीं मिलती। तेजी से बढ़ती जनसंख्या, वायु प्रदूषण व रहने के लिए अतिक्रमण जैसे हालात ने पक्षियों के रहने के स्थानों को तहस-नहस कर दिया है। एक अध्ययन में ये खुलासा हुआ है कि शहरों की सड़कों व फ्लैटों के किनारे लगे पेड़-पौधों पर घोंसला बनाने वाले ये जीव गाड़ियों के धुएं व शोर-शराबे के कारण अशांत रहते हैं और इसीलिए अब वहां से पलायन करने लगे हैं। एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार भारत की 14 ऐसी पक्षी प्रजातियां हैं, जो विलुप्तता की कगार पर हैं।

                                            इन आंकड़ों पर भी डालें नजर
भारत में मानव के साथ कम से कम स्तनपायी जीवों (मैमल्स) की 397 प्रजातियां, पक्षियों की 1232, सरीसृपों (रेपटाइल्स) की 460, मछलियों की 2546 और कीट-पतंगों की 51353 प्रजातियां निवास करती हैं। पक्षियों और उनके आवास के संरक्षण के लिए प्रयास करने वाले वैश्विक संगठन बर्डलाइफ इंटरनेशनल के मुताबिक, एशिया महाद्वीप में पाई जाने वाली 2462 पक्षी-प्रजातियों में से 332 पर विलुप्ति का खतरा मंडरा रहा है। कौआ, गौरैया, इंडियन बस्टर्ड, कठफोड़वा और गिद्धों की 43 प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं।

                                 हरियाणा के चिड़ियाघरों में ये हैं वन्य जीव
बाघ-4, तेंदुआ-1, चित्तीदार हिरण-20, सांभर-10, चिंकारा-2, कृष्णमृग-32, नील बैल -1, सामान्यण लंगूर -2, मगरमच्छ -29, रेड मुनिया -3, गुलाबी बतख -2, तोता -2, श्वेनत उल्लू -9, आइबिस -3, रजत तीतर 3, लव बर्ड 3, सियार -1, जापानी बटेर-18, गिनी मुर्गी-1,घड़ियाल -2, कॉकटिल-18, लव बर्ड 20, जावा गौरैया -24 , दरियाई घोड़ा -4, रेगिस्ता-नी लोमड़ी -4 ।
नोट-सभी आंकड़े हरियाणा सरकार के वन विभाग की वेबसाईट से लिए गए हैं।


बाघ : पूरे विश्व में इनकी संख्या मात्र 3 से 4 हजार ही बची है। बाघ की नौ प्रजातियों में से तीन तो विलुप्त हो चुकी हैं। देश में वर्तमान में राष्टÑीय पशु बाघों की संख्या अनुमानत: 1706 है, जबकि 2006 में यह आंकड़ा 1411 था।चार साल पहले मध्य प्रदेश में 300 बाघ थे जो घटकर 257 रह गए। सबसे ज्यादा 25 बाघ कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में कम हुए।
रॉयल बंगाल टाइगर : पश्चिम बंगाल राज्य में पाए जाने वाले रॉयल बंगाल टाइगर अब केवल 109 ही बचे हैं।
डॉल्फिन : भारत के राष्ट्रीय जलीय जीव डॉल्फिन की संख्या 2000 से भी कम रह गयी है।
साइबेरियन क्रेन: दलदली भूमि, बाढ़ वाले स्थान, तालाब और झील के पास रहने वाली सारस वर्ग की एक प्रमुख प्रजाति साइबेरियन क्रेन की संख्या काफी कम बची है।
गौरैया : घर-आंगन हर जगह फुदकने वाली प्यारी सी चिड़िया गौरैया तेजी से दुर्लभ होती जा रही है। भारत के अलावा यह ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली जैसे कई देशों में पाई जाती है।
पोलर बीयर : काफी खूबसूरत दिखने वाला यह जीव आर्कटिक सागर के आस-पास पाया जाता है और इसे बर्फीले इलाकों में ही रहना पसंद है। पूरे विश्व में कुछ हजार पोलर बीयर ही बचे हैं।
गैंडा : भारी-भरकम जीव गैंडा दुनिया के विशालतम जीवों में से एक है। इसका वजन चार सौ से छह सौ किलोग्राम तक होता है। लेकिन हम इंसानों द्वारा अवैध शिकार की वजह से इनका जीवन खतरे में है। गैंडों की प्रजाति में से एक जवन राइनो की संख्या मात्र 50 से 60 बची है।
पैंग्विन : धरती के खूबसूरत प्राणियों में से एक पेंग्विन काफी तेजी से खत्म हो रहे हैं। इन्हें पानी और बफीर्ले इलाके में रहना काफी पसंद है। इनकी खासियत है कि ये जमीन और समुद्र दोनों जगहों पर रह सकते हैं।
कछुआ : पृथ्वी पर सबसे ज्यादा जीने वाली प्रजातियों में से एक है। यह कई सौ साल तक जीवित रह सकता है। यह जमीन पर भी चलता है और पानी के अन्दर भी। लेकिन आज इसकी सख्या में काफी कमी आ गई है। दिन-प्रतिदिन इसकी संख्या घटती ही जा रही है।



                                   आखिर तुम कहां चले गए दोस्तों
मोर- दुनिया के सबसे सुंदर पक्षिओं में शुमार भारत के रइस राष्टÑीय पक्षी के भी  दर्शन दुर्लभ हो गए हैं। पहले गांवों-शहरों के भीतर भी मोरों के झुंड नजर आया करते थे परंतु अब यह प्रजाति दिन-प्रतिदिन विलुप्त होती जा रही है। अब ये खेतों में भी ढूंढे से नहीं मिलते। अगर ऐसा ही चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब जैसे चील प्रजाति की तरह मोर प्रजाति भी हमारे से गायब हो जाएगी।

काला तीतर : 1976 में हरियाणा में काले तीतर को राज्य पक्षी का दर्जा दिया गया था लेकिन सरकार इनके संरक्षण को लेकर बेपरवाह है। हालात तो ये हैं कि अब इलाकों में तीतर के दर्शन भी दुर्लभ हो गए हैं। आशंका है कि शिकार, कम होती वन्य भूमि और कीटनाशक दवाओं के कारण कुछ सालों में यह पक्षी राज्य से लुप्त हो जाएगा। प्रदेश भर में अब तक इनमें 60 प्रतिशत से भी अधिक की कमी देखी गई है।

गिद्ध : कुछ साल पहले तक काफी संख्या में गिद्ध (ईगल) देखे जाते थे, लेकिन आज ये आसपास कम ही दिखते होंगे। यही हाल पूरी धरती का है। पिछले कुछेक दशक में गिद्धों की संख्या में बहुत तेजी से कमी आई है।

एराराइप मैनकीन : ब्राजील में पाई जाने वाली एराराइप मैनकीन धरती से विलुप्त होने वाले पक्षियों के वर्ग में है। पृथ्वी पर अब इसकी संख्या 50 से भी कम बची है।

                                    आप भी बन सकते हैं भागीदार

यदि आप भी डेरा सच्चा सौदा की पशु व पक्षी संरक्षण की इस मुहिम का हिस्सा बनना चाहते हैं तो बिल्कुल देर मत करें। आपको अपने घर के अंदर या छत पर एक परिंडा बांधना है और उसमें रोजाना पक्षियों के लिए अनाज व पानी डालें। इसके साथ ही सड़क पर भटक रहे गौवंश के लिए भी आप मददगार बन सकते हैं। आप अपने घर के बाहर कोई टूटा हुआ ड्रम, पानी की टंकी आदि या कोई ऐसी बड़ी वस्तु रख दें और उसमें रोजाना पानी डालते रहें ताकि गली में विचरण करने वाले आवारा पशु प्यास बुझा सकेंं। इसके अलावा आप 4-5 परिवार मिलकर भी आवारा घूम रही गायों आदि के लिए चारे का प्रबंध कर सकते हैं। आप अन्य जीव-जंतुओं की रक्षा के लिए भी आवाज उठाएं। ध्यान रहे,आप जीव संरक्षण से संबंधित कोई भी कार्य करते हैं जैसे परिंडे लगाना,चारा-पानी आदि का प्रबंध करना तो हमें उसकी तस्वीर भेजना न भूलिएगा। आप तस्वीर हमारे वाट्स अप नंबर +919729997715 पर भेज सकते हैं। आपका यह छोटा सा प्रयास इन बेजुबानों को बचाने में मील का पत्थर साबित होगा।



प्यार सिर्फ इंसानी रिश्ते में ही नहीं होता। इंसानियत जिंदगी के हर उस जीव को प्यार करना सिखाती है जो धरती पर जन्म लेता और निवास करता है। पूज्य गुरू संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां भी पर्यावरण के ऐसे प्रबल पहरेदार हंै जो प्रकृति के हर जीव से प्यार करते हैं और आवाम को भी मालिक की बनाई समस्त खलकत से प्यार करने की सीख देते हैं।

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