दुनियाभर में जल संरक्षण की अलख जगा रहा डेरा सच्चा सौदा

मुहिम। दुनियाभर में जल संरक्षण की अलख जगा रहा डेरा सच्चा सौदा
आओ, पानी बचाएं जीवन बचाएं
अंतर्राष्टÑीय जल दिवस पर विशेष
‘अगर पानी यूं ही बर्बाद होता रहा तो आने वाले समय में झगड़ा हो सकता है। हर किसी को पानी का बचाव करना चाहिए। जब आप ब्रश करते हैं तो गिलास में पानी ले लें। देखने में आया है कई लोग नल को खुला छोड़ देते हैं ओर ब्रश को रगड़ते रहते हैं और इतनी देर पानी बहता रहता है। इस तरह से कई-कई लीटर पानी बर्बाद कर देते हैं तो ऐसा नहीं करना है और कई नहाने में भी पानी बर्बाद करते हैं तो आप नहाओ जरूर पर बहाओ ना। पानी बचाने के लिए हर किसी को चिंता करनी चाहिए।’’
पूज्य गुरू संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां 
 
संदीप कम्बोज
 22 मार्च यानि विश्व यानि विश्व जल दिवस, पानी बचाने के संकल्प का दिन। पानी के महत्व को जानने का दिन और पानी के संरक्षण के विषय में समय रहते सचेत होने का दिन। कहते हैं इंसान बिना खाना खाए तो कई दिनों तक जिंदा रह सकता है लेकिन बिना पानी पिए उसकी जिंदगी महज दो या तीन दिन ही चल सकती है। बगैर जल जिंदगी की कल्पना भी बेमानी है। संपूर्ण धरा के तीन हिस्से यानि 70 प्रतिशत हिस्से पर पानी है लेकिन इसमें से मात्र 1.5 प्रतिशत जल ही पीने लायक है। आंकड़े बताते हैं कि आज भी विश्व के 1.5 अरब लोगों को पीने का शुद्ध पानी नहीं मिल रहा है।
एक चौंकाने वाली रिपोर्ट में तो यहां तक कहा गया है कि धरती का सीना चीरकर जिस तरह से लगातार जल का दोहन हो रहा है वर्ष 2030 तक धरती का भूजल भंडार खत्म हो जाएगा। आने वाली पीढियां स्वच्छ जल को तरसेंगी और फिर एक दिन पानी के लिए विश्वयुद्ध होगा, हर तरफ कत्लेआम मच जाएगा और बहेगा तो सिर्फ और सिर्फ बेकसूर इंसानों खून। आने वाली पीढ़ियां भी आज की ही तरह हंसी-खुशी जीवन व्यतीत करें, पानी के लिए इंसान लहूलुहान ना हों और धरती में पानी का भंडार बना रहे और हर किसी को सुरक्षित जल मिले, इसके लिए दुनियाभर में समाज भलाई कार्यों में विश्वविख्यात सर्वधर्म संगम डेरा सच्चा सौदा मानवता के नाते आया है। पूज्य गुरू संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां जल संरक्षण का बीड़ा उठाकर दुनिया को न केवल पानी बचाने पाठ पढ़ाते आ रहे हैं बल्कि वर्षा जल, वाटर रियूज सिस्टम व विभिन्न तरीकों से जल बचाओ, जीवन बचाओ का संदेश दे रहे हैं। पूज्य गुरू जी की पावन प्रेरणा अनुसार डेरा सच्चा सौदा के खेतों व अन्य संस्थानों में पिछले लंबे समय से वाटर हार्वेस्टिंग के अनेक तरह के आधुनिक सिस्टम प्रयोग में लाए जा रहे हैं जिनसे प्रतिवर्ष लाखों लीटर जल का संचय कर उसे रियूज यानि दोबारा प्रयोग में लाया जा रहा है। आप देखकर हैरान होंगे कि जिस जमीन में टैंक बनाकर वर्षा जल का संचय किया जा रहा है उसी जमीन के ऊपर फसलें लहलहा रही हैं। पूज्य गुरू जी समय-समय पर रूहानी सत्संगों व किसान मेलों के माध्यम से आवाम को जल संरक्षण की उक्त तकनीकों व अन्य तरीकों के बारे में जागरूक करते आ रहे हैं। खास बात यह है कि पूज्य गुरू जी द्वारा बताई गई ये तकनीकें ज्यादा खर्चीली नहीं हैं बल्कि इन्हें आमजन भी अपने घर, खेत, दुकान व संस्थान आदि में प्रयोग में लाकर जल संरक्षण की इस मुहिम में हिस्सा ले सकते हैं। क्योंकि प्रकृति के खजाने से हम जितना पानी लेते हैं, उसे वापस लौटाना हमारी ही जिम्मेदारी है। हम पानी का निर्माण तो नहीं कर सकते लेकिन आने वाली पीढ़ियों के लिए जल संग्रहण तो कर सकते हैं। तो आईए आज हम सभी जल संरक्षण का संकल्प लें।

नहाने के पानी से खेती
यदि आपने जल संरक्षण की अनूठी मिसाल देखनी है तो डेरा सच्चा सौदा सरसा चले आईए। यहां पानी बचाने के लिए पूज्य गुरू जी द्वारा बताई गई एक-दो नहीं बल्कि अनेकों तकनीकें  इस्तेमाल में लाई जा रही हैं। आप जानकर हैरान होंगे कि शाह सतनाम जी धाम स्थित खेतों में नहाने के पानी से भी फसलें ली जा रही हैं। पूज्य गुरू जी द्वारा बताई गई तकनीक के आधार पर कॉलेज के बच्चों ने एक ऐसा सिस्टम लगाया है जिससे शैंपू और साबुन वाले पानी को एकत्रित करके फसलों में प्रयोग किया जा रहा है। आप भी नहाने के पानी को सब्जी आदि के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।

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यह है वाटर रियूज टेक्नॉलाजी 
पूज्य गुरू जी द्वारा बताई गई वाटर रियूज टैक्नालॉजी पहली ऐसी तकनीक है जिससे जमींदार एक बार प्रयोग हुए पानी को दोबारा भी प्रयोग कर सकते हैं। जमीन का गहरा गड्ढा बनाकर उसमें दोमट माटी की परत डाल दें और उसके अंदर जालीदार पाईपें डालकर उपर फर्श बना लें। इस तरह से पानी दोबारा गड्ढे में इक्ट्ठा हो जाएगा और आप उसे दोबारा भी प्रयोग कर सकते हैं और इससे फसल पर रत्तीभर भी फर्क नहीं पड़ेगा। इस तकनीक को पैसे वाले जमींदार ही लगा सकते हैं। डेरा सच्चा सौदा के खेतों में इस तकनीक से बेहतर पैदावार ली जा रही है। शाह सतनाम जी धाम के खेतों में स्थित 15 नंबर मोटर पर आप इसका नजारा देख सकते हैं।


रेन वाटर हार्वेस्टींग सिस्टम युक्त हैं भवन
डेरा सच्चा सौदा के संस्थानों व खेतों में वर्षा जल संचयन के अनेक भंडार बनाए गए हैं। इसके अलावा विभिन्न संस्थानों में भी वाटर हार्वेस्टींग सिस्टम लगाए गए हैं जो जिनमें बरसाती पानी को एकत्र कर प्रयोग में लाया जाता है। शाह सतनाम जी क्रिकेट स्टेडियम में लगा वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम जबरदस्त है जिसमें एक साथ वर्षा का हजारों लीटर पानी एकत्र किया सकता है।


किचन गार्डन : वेस्ट पानी से आमदनी
पूज्य गुरू जी ने एक ऐसी तकनीक बताई है जिससे आप अपने घर के वेस्ट पानी को प्रयोग में लाकर आमदनी पा सकते हैं। आप थोड़ा सा खर्च करके सारा साल बेफिक्र रह सकते हैं। यदि आपके पास खेत नहीं है तो आप अपने घर में ही पानी की बोतल या छोटी पानी की टंकी को काटकर उसमें ही बीज डाल दीजिए तो पूरा साल सब्जी खरीदनी नहीं पड़ेगी। इसके लिए आप अपने घर का आरओ, बर्तनों या फिर अन्य वेस्ट पानी भी प्रयोग में ला सकते हैं और साथ में मुनाफा भी।


पानी भी देगा और बिजली भी
डेरा सच्चा सौदा एक और एक और तकनीकी क्रांति करने जा रहा है। शाह सतनाम जी रिसर्च एंड फाऊँडेशन एक ऐसा सिस्टम तैयार कर रहा है जो पानी के साथ-साथ बिजली भी उत्पन्न करेगा और खास बात यह कि इससे कोई बिजली बिल नहीं आएगा बस एक बार मोटर चलानी पड़गी।


जल बचाने का लिया है संकल्प
डेरा सच्चा सौदा की साध संगत ने पूज्य गुरू जी के पावन आवाह्न पर जल बचाने का संकल्प भी लिया है। साध संगत रोजाना इन तरीकों का प्रयोग करके जल संरक्षण में अहम योगदान दे रही है।



...तो बनना होगा शाकाहारी
स्टॉकहाल्स वॉटर इंस्टिट्यूट की रिपोर्ट के मुताबिक एक दिन पूरी दुनिया को मजबूरन शाकाहारी बनना पड़ेगा। रिपोर्ट में बताया गया है कि एक लीटर गाय का दूध प्राप्त करने के लिए 700 लीटर पानी खर्च करना पड़ता है, एक किलो गेहूँ उगाने के लिए 1 हजार लीटर और एक किलो चावल उगाने के लिए 5 हजार लीटर तो 1 किग्रा चीनी के लिए 197 लीटर पानी की आवश्यकता होती है। इसकेू अलावा एक किलो मांस के लिए 3265 से लेकर 15415 लीटर तक पानी प्रयोग में लाया जाता है। इसलिए रिपोर्ट की मानें तो मांस को धोने आदि में सबसे ज्यादा पानी बर्बाद होता है। भारत की अगर बात करें तो यहां 73 प्रतिशत पानी खेती और सिंचाई के लिए उपयोग किया जाता है।


जल संरक्षण के लिए यह करें
पानी के बारे में एक नहीं, कई चौंकाने वाले तथ्य हैं। विश्व में और विशेष रुप से भारत में पानी किस प्रकार नष्ट होता है। डेरा सच्चा सौदा द्वारा जल संरत्राण को लेकर चलाई जा रही जागरूकता मुहिम पर चलकर हम पानी के अपव्यय को रोक सकते हैं। पूज्य गुरू जी ने अनेक ऐसे तथ्य बताए हैं जो हमें आने वाले खतरे से तो सावधान करते ही हैं, दूसरों से प्रेरणा लेने के लिए प्रोत्साहित करते हैं और पानी के महत्व व इसके अनजाने स्रोतों की जानकारी भी देते हैं।
अगर हम रोजमर्रा के जीवन में अपनी आदतों को सुधारें तो बहुत जल बचा सकते हैं।
1  ब्रश करते समय नल खुला ना छोड़ें। नल की बजाए गिलास में पानी लेकर ब्रश करें
2 वर्षा जल का संचय करें।
3 नहाते समय बाल्टी का प्रयोग करें ना कि शावर का
4 ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को इसका मूल्य समझाएं।
5 सब्जी व बर्तन धोने के लिए जिस पानी का प्रयोग होता है उसे बचाकर गमलों में डालें या सब्जियां उगाएं
6 कार या गाड़ी धोते समय पानी का पाइप इस्तेमाल करने से बेहतर है हम झाडू या पोंछे का इस्तेमाल करें।
7 कभी भी पानी को व्यर्थ न बहाएं
8 घरों, खेतों, कारखानों, संस्थानों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाएं

जरा यह भी जान लें
पृथ्वी पर एक अरब 40 घन किलोलीटर पानी है। इसमें से 98.5 प्रतिशत पानी समुद्र में है, जो खारा है, शेष 1.5 प्रतिशत पानी बर्फ के रूप में ध्रुव प्रदेशों में है। इसमें से बचा एक प्रतिशत पानी नदी, सरोवर, कुओं, झरनों और झीलों में है जो पीने के लायक है। इस एक प्रतिशत पानी का 60 वां हिस्सा खेती और उद्योग कारखानों में खपत होता है। बाकी का 40 वां हिस्सा हम पीने, भोजन बनाने, नहाने, कपड़े धोने एवं साफ-सफाई में खर्च करते हैं।
 
इन आंकड़ों पर भी डालें नजर
1 मुंबई में रोज वाहन धोने में ही 50 लाख लीटर पानी खर्च हो जाता है।
2 महानगरों में पाइप लाइनों के वॉल्व की खराबी के कारण रोज 18 से 44 प्रतिशत पानी बेकार बह जाता है।
3 भारत में औसतन 50 सेंटीमीटर से भी अधिक वर्षा होने के बावजूद अनाज की कमी बनी रहती है।
4 पिछले 50 वर्षों में पानी के लिए 38 भीषण हत्याकांड हुए हैं।
5 पानीजन्य रोगों से विश्व में हर वर्ष 22 लाख लोगों की मौत हो जाती है।
6 यदि ब्रश करते समय नल खुला रह गया है, तो पांच मिनट में करीब 25 से 30 लीटर पानी बरबाद होता है।
7 बाथ टब में नहाते समय 300 से 500 लीटर पानी खर्च होता है, जबकि सामान्य रूप से नहाने में 100 से 150 पानी लीटर खर्च होता है।
8 विश्व में प्रति 10 व्यक्तियों में से 2 व्यक्तियों को पीने का शुद्ध पानी नहीं मिल पाता है।
9 प्रति वर्ष 3 अरब लीटर बोतल पैक पानी मनुष्य द्वारा पीने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।
पीने के लिए मानव को प्रतिदिन 6-7 लीटर और पशुओं को 50 लीटर पानी चाहिए।


























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