आए वाली दो जहान



       पूजनीय बेपरवाह सार्इं मस्ताना जी महाराज के 124वें पावन अवतार दिवस पर विशेष

संदीप कम्बोज 
जिनका नाम लेते ही जुबां पवित्र हो जाती है। जिनके पवित्र जीवन की एक झलक देखते ही दिल धन्य-धन्य होकर उनके गुणगान करने लगता है। जिनके मानवता भलाई हेतू किए गए कार्यों, रूहानी व सामाजिक मार्गदर्शन को देख हर कोई नतमस्तक हो जाता है। ऐसी ही महान हस्ती थे पूजनीय बेपरवाह साईं मस्ताना जी महाराज। आप जी ने डेरा सच्चा सौदा रूहानी मिशन की स्थापना कर लोगों को परमात्मा का आसान व वास्तिवक मार्ग दिखाया और लोगों में प्रेम, प्यार, नशे व भाईचारे की भावना पैदा की। आप जी की पावन शिक्षाओं से डेरा सच्चा सौदा ने हिन्दुस्तान ही नहीं अपितु पूरी दुनिया में विलक्षण पहचान बनाई।
परम पूजनीय बेपरवाह साईं मस्ताना जी महाराज ने सृष्टि की जीर्ण-शीर्ण अवस्था को देखते हुए धरा पर अवतार लिया तथा धर्म, जात, मजहब के फेर में उलझे मानव समाज को रूहानियत, सूफियत की वास्तिवकता का परिचय कराकर इंसानियत का पाठ पढ़ाया। दुनिया को सच की राह पर चलना सिखाते हुए राम-नाम का अनमोल तोहफा देकर मोक्ष मुक्ति का मार्ग दिखलाया। सच्चे दाता रहबर ने करोड़ों घरों को (दोनों जहान में) नर्क से स्वर्ग बना दिया। इस तरह पूजनीय बेपरवाह मस्ताना जी महाराज दो जहानों का ऐसा अनमोल खजाना लेकर आए कि आज करोड़ों रूहें यानी साढ़े पांच करोड़ से भी ज्यादा लोग इस बेपरवाही अनमोल खजाने से रू-ब-रू हैं और यह कारवां लगातार बढ़ता ही जा रहा है।

....ले लिया अवतार जी
पूजनीय परम संत बेपरवाह सार्इं मस्ताना जी महाराज ने विक्रमी संवत 1948 सन् 1891 कार्तिक माह की पूर्णिमा को पूज्य पिता श्री पिल्ला मल जी के घर माता तुलसां बाई जी की पवित्र कोख से गांव कोटड़ा तहसील गंधेय जिला कलायत, बिलोचिस्तान (जो कि अब पाकिस्तान में है) में अवतार धारण किया। पुत्र प्राप्ति के लिए पूज्य माता-पिता जी अपने ईष्टदेव, परमपिता परमात्मा से सच्चे दिल से कामना किया करते थे। वो साधु-संतों की, जो भी कोई अन्न, या भोजन-पानी पाने की इच्छा से घर पर आ जाते, पवित्र हृदय से उनकी आव भगत सेवा करते। एक बार पूजनीय माता जी की भेंट परमपिता परमात्मा के एक सच्चे व मस्त मौला फकीर से हुई। पूज्य माता-पिता जी की ईश्वर के प्रति सच्ची सेवा भावना से प्रसन्न होकर उस फकीर ने कहा कि माता जी, पुत्र की कामना ईश्वर आप जी की जरूर पूरी करेंगे।’ वो महान पवित्र दिन जिसकी पूज्य माता-पिता जी को वर्षों से इंतजार था, परमपिता परमात्मा की कृपा से उनके घर उसी का नूर पूज्य बेपरवाह मस्ताना जी महाराज के स्वरूप में अवतरित हुआ।

रूहानी बाल लीलाओं से महका बचपन 
पूज्य बेपरवाह जी के नूरी बचपन, उनके निराले चोज, आए दिन जीवन की अद्भुतता को निहार कर लोग दांतों तले अंगुली दबा लेते थे। आप जी के जीवन दर्शन की पवित्रता हर देखने वालों को अपना दीवाना बना लेती और वह आप जी की तरफ अपने आप ही खिंचा चला आता। जैसे चुम्बक अन्य चुम्बकीय पदार्थों को अपनी तरफ खींच लेता है, उसी तरह हर कोई आप जी की संगत, सोहबत पाने को लालायित हो उठता। इस तरह आप जी अपने अद्भुत रूहानी बचपन की मुस्कुराहटों व रूहानी खेलों से अपने पूज्य माता पिता तथा आस-पड़ौस को हर समय महकाए रखते।

कर्त्तव्य निर्वहन की गजब मिसाल
अभी आप जी छोटी आयु में थे कि आप जी के पूज्य पिता जी का साया आप जी के सिर से उठ गया। इस पर पूज्य माता जी ने एक मां के साथ-साथ पिता का भी फर्ज अदा करते हुए आप जी को अपने पवित्र संस्कारों से ओत-प्रोत कर दिया। थोड़ा बड़ा होने पर आप जी भी अपनी पूज्य माता जी के प्रति अपनी जिम्मेवारियों के लिए हमेशा सजग रहते। एक दिन पूज्य माता जी ने आप जी को खोवा (खोय की मिठाई) की बिक्री के लिए भेजा। सिर पर मिठाई का थाल रखकर आप जी अपने घर से बाहर गांव के लिए निकले, रास्ते में एक जगह आप जी को एक साधु बाबा मिले जो कि भूख से बेचैन थे। आप जी ने सारी मिठाई उस साधु बाबा को खिला दी। आप जी ने सोचा कि खाली हाथ जाकर माता जी को क्या जवाब देंगे। इतने में वहां पर एक आदमी आ गया। वह किसी मजदूर की तलाश में था। आप जी उसके साथ चल पड़े और उसके खेतों में दिनभर सख्त मेहनत की। वह किसान देखकर हैरान रह गया कि यह एक छोटा सा बच्चा है, इसने एक हृष्ट-पुष्ट आदमी से भी ज्यादा काम किया है,अवश्य ही यह कोई खास है। वह आप जी के साथ आप जी के घर पर पूज्य माता जी से मिला। मजदूरी के पैसे आप जी ने पूज्य माता जी को देते हुए सारी बात बता दी। पूज्य माता जी की भी आंखें छलक आई और उन्होंने आप जी को छाती से लगा लिया। यह सब देखकर वह किसान भाई भी आत्म-विभोर हो गया। कर्त्तव्य-निर्वहन का ऐसा उदाहरण अपने आप में बेमिसाल है।


खेमामल जी से बने ‘मस्ताना शाह बिलोचिस्तनी’
आप जी के अंदर ईश्वरीय लगन बचपन से ही थी। आप जी साधु-महात्माओं में घंटों तक बैठकर उनकी सोहबत करते। जो कुछ भी पास में होता, सेवा-भावना के उद्देश्य से उनमें बांट देते। आप जी ने अपने घर में एक छोटा सा मंदिर भी बना रखा था। उसमें अपने ईष्ट देव भगवान सत्यनारायण जी की सोने की मूर्ति के आगे आप जी घंटों-भर भक्ति, अराधना में बैठे रहते। आप जी के अंदर सतगुरु के मिलाप की इतनी प्रबल तड़प लगी कि आप जी सच्चे गुरू की तलाश में निकल पड़े। इस दौरान आप जी की भेंट कई बड़े-बड़े ऋषि-महात्माओं से हुई जो रिद्धि सिद्धियों में प्रवीण थे, परंतु सच्चा मोक्ष, ईश्वर के मिलाप की सामर्था उनमें नही ंथी। इस तरह अपना सुख आराम आदि त्याग कर घूमते-घुमाते आप जी डेरा बाबा जैमल सिंह ब्यास (पंजाब) में पहुंचे। पूजनीय हजूर बाबा सावण शाह जी महाराज उन दिनों हरियाणा के जिला सरसा के गांव सिकंदरपुर में थे। वहां से आप सिकंदरपुर पहुंचे। पूज्य बाबा जी के जैसे ही आप जी ने दर्शन किए, तन-मन धन सब कुछ उन पर न्यौछावर कर उन्हें अपना सतगुरु, मौला, खुद-खुदा मान लिया। सो उस दिन से सतगुरु प्रेम की गाथाएं उमड़-घुमड़ कर आप जी को हर समय मतवाला बनाए रखती। आप जी अपने सतगुरु मौला के प्रेम में कमर पे, मोटे-मोटे घुंघरू बांधकर नाचते और मौला सतगुरु सार्इं सावण शाह जी नित्य नए नए वचनों की बौछार आप जी पर करते रहते। पूज्य सावण शाह सार्इं जी ने आप जी का नाम ‘मस्ताना शाह बिलोचिस्तानी’ रखा, जबकि आप जी का बचपन का नाम खेमा मल जी था।

जब पूजनीय सावण सिंह जी महाराज ने बनाया बागड़ का बादशाह
पूजनीय सावण सिंह जी महाराज ने पूज्य बेपरवाह मस्ताना जी महाराज की परमात्मा के प्रति असीम भक्ति,अटूट आस्था, प्यार व आस्था को देखते हुए हुक्म फरमाया कि ‘हे मस्ताना! तू बागड़ में जा, वहां जाकर राम नाम का डंका बजा। लोगों को सच्चाई का आभास करवा और रूहों को इस भवसागर से पार लंघाने का परोपकार कर’। इस पर पूज्य बेपरवाह जी ने अपने मुर्शिद के चरणों में अर्ज की,‘सार्इं जी! ये जो शरीर है इतना पढा लिखा नहीं है। कैसे ग्रंथ पढेंगे, कैसे लोगों को समझाएंगे। असीं केवल सिंधी बोली ही जानते हंैं। इधर के लोग कैसे हमारी बोली समझेंगे।’
इस पर दाता सवाण सिंह जी महाराज ने फरमाया, ‘तुझे किसी ग्रंथ की जरूरत नहीं,तेरी आवाज मालिक की आवाज होगी। जो लोग सत्संग में आएंगे,वे राम का नाम लेंगे तो उनका बेड़ा पार हो जाएग। इस तरह दाता सावण सिंह जी महाराज ने पूज्य बेपरवाह मस्ताना जी महाराज को बागड़ का बादशाह बनाकर वर्ष1946 में राम नाम का डंका बजाने को सरसा भेज दिया। पूज्य बेपरवाह जी सरसा पहुंच गए। और जल्द ही वह पावन दिन भी आ गया जब पूज्य शहंशाह जी शहर से दो कि.मी. दूर स्थित सरसा-भादरा मार्ग पर फावड़े का टक लगाकर डेरा बनाने का कार्य आरंभ कर दिया। वीरान इलाका, उबड़-खाबड़ जमीन, कहंीं कांटेदार झाड़ियां तो कहीं गहरे गड्ढे। कुछ ही समय में यहां भव्य और सुंदर डेरा बनकर तैयार हो गया। आश्रम में लगाए गए आकर्षक चित्रकारी से सुसज्जित दरवाजे आज भी यहां की सुंदरता को चार चांद लगा रहे हैं


बांटा सच्चे नाम का प्रसाद
पूज्य सार्इं जी ने धीरे-धीरे आश्रम का विस्तार किया। साध संगत की सुविधा के लिए देशभर में अलग-अलग स्थानों पर आश्रमों का निर्माण कराया। इस दौरान मकान बनाने और गिरवाने का भी सिलसिला चलता रहा। आप जी ने रूहानी सत्संगों के दौरान दुनिया को बताया कि मालिक एक है। ईश्वर,अल्लाह, वाहेगुरू,खुदा, ओम, हरि, गोड आदि नाम एक ही परमात्मा के हैं जिस तक केवल गुरूमंत्र द्वारा ही पहुंचा जा सकता है। आप जी ने अंधविश्वास धर्म, जात व मजहब, नशों व सामाजिक बुराईयों के फेर में उलझे मानव समाज को परमात्मा के सच्चे नाम से जोड़ा।


चोला बदलना
28 फरवरी 1960 को आप जी ने श्री जलालआणा साहिब के जैलदार  पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर डेरा सच्चा सौदा की गुरगद्दी पर विराजमान कर उन्हें (रूहानियत) व डेरा सच्चा सौदा की बागडोर सौंप दी। आप जी ने डेरा सच्चा सौदा के उज्जवल भविष्य के बारे अपने अनेक इलाही वचन फरमा कर 18 अप्रैल 1960 को चोला बदल लिया।

बढ़ता जा रहा है राम नाम का कारवां
वर्ष 1960 में पूज्य सार्इं बेपरवाह मस्ताना जी महाराज के चोला बदलने के पश्चात डेरा सच्चा सौदा की दूसरी पातशाही पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज ने आप जी के हुक्मानुसार हरियाणा,पंजाब,उत्तर प्रदेश, राजस्थान व दिल्ली समेत देश के अनेक राज्यों में जा-जाकर परमात्मा के नाम का प्रचार किया और वर्तमान में पूज्य गुरू संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां पूरी दुनिया में राम नाम का डंका बजा रहे हैं। लोग बुराईयां छोड़कर राम नाम ले रहे हैं तथा आज दुनियाभर में राम नाम के आशिकों की संख्या साढ़े पांच करोड़ को भी पार कर गई है तथा यह कारवां लगातार बढ़ता ही जा रहा है।

ज्यों की त्यों पूरे हो रहे ‘तीसरी बॉडी’ के वचन
पूज्य बेपरवाह सार्इं मस्ताना जी महाराज ने अपनी अपार रहमतों की निवाजिश करके पूज्य परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज को गुरगद्दी बख्शिश करते हुए ‘तीसरी बॉडी के बारे भी वचन फरमाए कि वो खुद अपना काम चलाएगी। वो किसी बंदे के आसरे नहीं होगी। डेरा सच्चा सौदा में इतनी संगत होगी कि मौज हाथी पर चढ़ कर दर्शन देंगे,( हाथी की ऊंचाई जितनी स्टेज होगी) फिर भी दर्शन मुश्किल से हो पाएंगे। मौज इतनी ताकत लेकर आएगी कि बने बनाए मकान उतार सकेगी। मौज (जीवोद्वार के लिए) दूर-दूर तक घूमेगी। मौज फौज के काफिले की तरह चलेगी। अपनी गाड़ियां, अपने तम्बू, अपने स्पीकर, अपनी रोशनी, लंगर- भोजन आदि सब सामान अपना ही होगा। ऐसी इलाही बाडी को लोग खड़ खड़ कर देखा करेंगे। पूरी दुनिया में राम-नाम का डंका बजेगा, हर जुबां पर डेरा सच्चा सौदा का नाम होगा।’’सो पूजनीय बेपरवाह जी के हर वचन आज डेरा सच्चा सौदा में ज्यों का त्यों सार्थक होते देखा जा सकता है। पूजनीय गुरू संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पवित्र रहनुमाई में डेरा सच्चा सौदा रूहानियत के साथ-साथ मानवता व समाज भलाई के कार्यों के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है।



दुनिया में मची डेरा सच्चा सौदा की धूम
यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि आज दुनियाभर में डेरा सच्चा सौदा की धूम मची है। पूज्य सार्इं बेपरवाह मस्ताना जी महाराज रूहानी सत्संगों में फरमाया करते थे कि डेरा सच्चा सौदा की रड़ मचेगी, राम नाम धूमा-धूम चलेगा।’ तो आज वो समय आ गया है। दुनिया के नक्शे पर अगर नजर दौड़ाई जाए तो ऐसा कोई हिस्सा नहीं जहां डेरा सच्चा सौदा के सेवादार मौजूद न हों। सैकड़ों से शुरू हुआ यह कारवां आज करोड़ों में तबदील हो चुका है। फिलहाल पूरी दुनिया में डेरा सच्चा सौदा के साढ़े पांच करोड़ से भी अधिक श्रद्धालू हैं जो पूज्य सार्इं जी के दिखाए मार्ग पर चलते हुए नेकी,भलाई के कार्यों में लगे हैं।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ