तरक्की की डगर पर उम्मीदों का सफर

                                         हरियाणा स्थापना दिवस पर विशेष
स्थापना दिवस। नई उम्मीद और जज्बे के साथ 50वें बरस में पहुंचा हरियाणा, दुनिया के नक्शे पर बनाई विशेष पहचान
प्रदेश में निवेश करने को बेकरार हैं विदेशी कंपनियां
शिक्षा, खेल, कृषि, विज्ञान व तकनीक के साथ-साथ विभिन्न क्षेत्रों में स्थापित किए नए आयाम
49 बरस में सूबे के लिंगानुपात में भी आया सुधार

सरसा(संदीप कम्बोज)। कभी अंधविश्वास, पुरातन रूढ़ियों, अनपढ़ता व पिछड़ेपन का गढ़ कहे जाने वाला हरियाणा अब उम्र के पड़ाव के साथ दिनोंदिन जवां बनता जा रहा है।  नई उम्मीद और जज्बे के साथ हरियाणा आज अपनी स्थापना के 50वें बसंत में प्रवेश कर रहा है। बीते 49 सालों में सूबे ने लगातार तरक्की की सीढियां चढ़ते हुए हिन्दुस्तान ही नहीं अपितु दुनिया के नक्शे पर विशेष पहचान बनाई है। अर्थव्यवस्था हो या फिर इन्फ्रास्ट्रक्चर या फिर डिजिटलाईजेशन की बात, हरियाणा ने सभी क्षेत्रों में बेतरतीब प्रगति की है। नए बिजनेस, इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स से लेकर राज्य में कई उद्योग स्थापित किए गए हैं। 50वां साल यानि गोल्डन वर्ष। युवावस्था से अधेड़ावस्था में प्रवेश। वैसे किसी की उम्र बढ़ने के साथ उसमें विसंगतिया आती हैं। लेकिन हरियाणा के संदर्भ मे यह बात उलट है जिसका श्रेय मुख्यमंत्री मनोहर लाल के कुशल नेतृत्व को जाता है। क्योंकि बीते एक साल में प्रदेश में विकास का पहिया जिस तरह से तेजी से दौड़ रहा है, अगर उस तरह से पहले दौड़ता तो प्रदेश इस स्टेज पर आज से दो दशक पहले होता। देश के जाने-माने उद्योग घराने अब हरियाणा की और आने को उत्साहित नजर आ रहे हैं, वह अपने आप में हैरत की बात मालूम होती है। प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल व वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु ने विदेशों का दौरा कर विदेशी उद्यमियों को हरियाणा में निवेश के लिए आमंत्रित किया है जिसके साकारात्मक परिणाम भी आ रहे हैं। परिणामस्वरूप विदेशी कंपनियां निवेश के लिए हरियाणा का रूख करने लगी हैं। यह सच है कि एक दशक पहले प्रदेश की जो छवि थी, आज वह बदल चुकी है। आज केंद्र की निगाह में हरियाणा एक विकासशील और संभावनाशील राज्य माना जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू किए गए बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम का हरियाणा में व्यापक असर देखने को मिला है। लिंगानुपात में तेजी से सुधार आ रहा है। 1971 में जहां राज्य में लिंगानुपात की दर 867 थी वह बढ़कर 877 हो गई है। एक नवंबर 1966 को गठन के बाद शून्य से शिखर तक की यात्रा में हरियाणा को अनेक पड़ावों से गुजरना पड़ा। नए राज्य के रूप में अस्तित्व में आने के बाद सात जिलों से शुरू हुए राज्य में अब तक अनेक भौगौलिक परिवर्तन भी हुए। आज सूबे में जहां 21 जिले हैं वहीं शिक्षा, स्वास्थ्य, खेलों, कृषि,उद्योग, विज्ञान व तकनीक समेत विभिन्न क्षेत्रों के राज्य ने अनेक उपलब्धियां हासिल की हैं। 


बेमिसाल रहे 49 साल
बहुत पुरानी बात नहीं है कि हरियाणा को पिछड़ा राज्य माना जाता था। ऐसा इसलिए नहीं था कि इसका विभाजन हो गया और पंजाब से अलग हो जाने से इसकी विकास गति में बाधा आ गई, नहीं। हरियाणा जब पंजाब में शामिल था तब भी चूंकि यह क्षेत्र औद्योगिक, आधुनिक या विकासशील क्षेत्र नहीं था, इसलिए हरियाणा को इस विभाजन से कोई फर्क नहीं पड़ा। लेकिन अब नई सदी के पंद्रह साल पूरे होने को हैं और समीकरण अचानक से बदल गए हैं। हरियाणा ने अब अप्रत्याशित रूप से विकास के सोपान चढ़ते हुए न केवल अपनी स्थिति मजबूत की है बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी पुरजोर ढंग से अपनी मौजूदगी दर्ज कराई है। पूर्व में यहां जनता दल, हविपा, इनेलो व  कांग्रेस की सरकारें रही जिन्हें शासन करते हुए चार दशक से अधिक समय बीत चुका है। यहां मौजूदा सरकार भाजपा की है। ऐसा नहीं है कि पूर्ववर्ती सरकारों ने हरियाणा के विकास का पहलू अनदेखा ही रखा या वे विकास दर नहीं बढ़ा पाए। सभी सरकारें अपने स्तर पर अपनी कार्ययोजनाएं लाती हैं और उनका अमल करती हैं लेकिन मौजूदा सरकार का काम उल्लेखनीय की श्रेणी में सहज रूप से दर्ज किया जा सकता है क्योंकि आज ये आलम है कि हरियाणा में विदेशी उद्योगपति अपना पैसा लगाने की मंशा रखते हंै और ऐसा करते समय उसे जोखिम उठाने की चिंता भी नहीं महसूस होती।



डिजिटल हरियाणा से बदलेगी तस्वीर

आज ऐसे कई क्षेत्र हैं जिनमें हरियाणा ने नि:स्संदेह उल्लेखनीय प्रगति की है। पंजाब जैसे खेती प्रधान प्रांत को भी हरियाणा ने अनाज की पैदावार के मामले में खासी टक्कर दी है। खास बात यह कि प्रदेश सरकार निर्धनों के हित में योजनाएं लेकर आई। समाज के अंतिम पंक्ति के व्यक्ति तक योजनाओं का लाभ पहुंचाने की मंशा के चलते मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सीएम विंडो की शुरूआत की है ताकि आमजन उनसे सीधा जुड़कर अपनी समस्याओं बारे अवगत करा सके। किसानों के हित में नित नई योजनाएं लाकर सरकार ने खेती को भी बढ़ावा दिया है। सरकार प्रदेश में शिक्षा के साथ-साथ कौशल, स्पोटर्स व स्वास्थ्य विश्वविद्यालय भी खोलने जा रही है ताकि स्थानीय युवाओं को प्रदेश में ही तालिम देकर यहीं पर ही नौकरी व रोजगार उपलब्ध कराया जा सके। आज गुड़गांव, फरीदाबाद व बहादुरगढ़ के अलावा प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में मेट्रो विस्तार का काम तेजी से जारी है। यही नहीं सरकार ने पीएम मोदी के डिजिटल इंडिया की तर्ज पर डिजिटल हरियाणा का भी नारा दिया है जिसके तहत प्रदेश के हर विभाग को इंटरनेट से जोड़कर डिजिटल बनाया जा रहा है ताकि भ्रष्टाचार पर लगाम लगे व जनता को दिए पारदर्शी प्रशासन का वादा पूरा हो सके।


इतना नहीं काफी,अभी बहुत कुछ बाकि
पिछला एक साल हरियाणा के लिए शानदार आर्थिक पुर्नवापसी का साल रहा है। इस अवधि में आर्थिक और सामाजिक क्षेत्रों में किए गए निवेश ने लोक-निवेश के परिदृश्य को खास तौर पर प्रभावित किया। प्रदेश की भाजपा सरकार ने एक ही साल में सूबे के हर वर्ग के लिए 52 नई योजनाएं चालू कर विकास की गति को नए पंख लगाए हैं। प्रदेश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी सरकार ने एक ही साल में  इतने बड़े स्तर पर विकास योजनाएं शुरू की हों। लेकिन इतना सबकुछ भी काफी नहीं है, प्रदेश के बेहतरीन विकास के लिए अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। प्रदेश सरकार की मंशा है कि प्रदेश में विधिक और प्रशासनिक व्यवस्थाएं बेहतर करते हुए ऐसा वातावरण बनाया जाए जिसमें निजी निवेश को बढ़ाने के लिए इस क्षेत्र की भागीदारी ली जा सके। इसके लिए सरकार ने खाका तैयार कर लिया है और उस पर तेजी से काम भी जारी है।


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