रूहानी सत्संग : डेरा सच्चा सौदा में उमड़ा आस्था का जनसमंदर

रूहानी सत्संग : डेरा सच्चा सौदा में उमड़ा आस्था का जनसमंदर

इंसानियत का संग करो 

संदीप कम्बोज
सिरसा। गुरू एक होता है। सारा परिवार या बड़ा-छोटा गुरू नहीं होता। बड़ा है, तो भगवान, पर गुरू बिना भगवान का ज्ञान नहीं होता। पहले गुरू जन्मा, फिर भगवान जन्मा इस दुनिया में। क्योंकि गुरू ने आकर ही बताया कि भगवान, अल्लाह, वाहेगुरु होता है, पहले कोई नहीं जानता था। इसलिए गुरू एक होता है और जन्मता है मां के गर्भ से, पिता के साये में रहता है, उनका सत्कार बनता है, लेकिन गुरू तो सिर्फ गुरू होता है और कोई गुरू नहीं होता, और किसी का वचन नहीं होता, सिर्फ गुरू का ही वचन होता है, ये हमेशा याद रखें। किसी और से वचन करवाते हो, तो समझ लो कि अपनी भक्ति पे धब्बा लगाते हो, अपनी भक्ति कटवाते हो। इसलिए अपने पीरो-मुर्शिदे-कामिल से वचन करवाओ, क्योंकि वो खुद नहीं करता, अल्लाह, वाहेगुरु से करवाता है और आपके लिए खजाने मांग के, आप पे लुटाता है। इसलिए सिर्फ गुरू ही गुरू होता है, हमेशा ये ध्यान रखिए। उक्त अनमोल वचन पूज्य गुरू संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने शाह सतनाम जी धाम में आयोजित रविवार को विशाल रूहानी सत्संग के दौरान फरमाए। रूहानी सत्संग में हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, बिहार समेत देश व दुनिया के कोने-कोने से लाखों की तादाद में पहुंची साध संगत ने पूज्य गुरू जी के अनमोल वचनों को श्रवण कर लाभ उठाया। रूहानी सत्संग के दौरान पूज्य गुरू जी ने 53200 नए जीवों को नाम की अनमोल दात प्रदान कर मोक्ष मुक्ति का अधिकारी बनाया। इस दौरान हजारों की तादाद में साध संगत ने रूहानी जाम (जाम-ए-इन्सां) ग्रहण कर बुराईयां त्यागने का संकल्प लिया।
पूज्य गुरू जी ने फरमाया कि गुरू कभी किसी का बुरा नहीं करता, बल्कि सबका भला करता है, भला मांगता है, लेकिन जैसे कर्म कोई करता है, वैसा आने वाले समय में भरता जरूर है। ठगी, बेइमानी, भ्रष्टाचार किया, लोगों का खून चूस के पीया, तो एक दिन लेने के देने पड़ेंगे, कुदरत की तरफ से आपका भी खून चूसा जाएगा। किसी जीव को मारकर खाते हो, अपने स्वाद के लिए चटकारे ले-लेकर खाते हो, किसी का कत्ल किया, किसी पशु को तड़पाया, याद रखो, कुदरत का कादिर ऐसा कर्मचक्कर चलाएगा कि एक दिन खुद भी तड़पोगे और औलाद को भी तड़पाओगे। ये धरती कर्मभूमि है, जैसे कर्म करोगे, कभी अल्लाह, राम से नहीं बच पाओगे। अच्छे कर्म करते हो, भले कर्म करते हो, बताने की जरूरत नहीं, नम्बर बनाने की जरूरत नहीं, सेवा-सुमिरन करते हो, वचनों पे 100 प्रसेंट अमल करते हो, फिर आप तो क्या जो गुजर गए, आने वाले भी आपकी उस सेवा, भक्ति से मालामाल हो जाएंगे, कभी कंगाल नहीं कहलाएंगे।

 राम का नाम बनेगा ढाल
पूज्य गुरू जी ने फरमाया कि आजकल की युवा पीढ़ी बड़ी भ्रमित है। उसे यह समझ नहीं आता कि सही क्या और गलत क्या? 13 से 19 साल की उम्र ऐसी होती है, इसमें कोई भी किसी को बहला-फुसला
सकता है। ये उम्र ही ऐसी होती है। ऐसी उम्र में एक कवच, ढाल बन जाए, ताकि कोई आपको बुरा न कर सके, बुरे रास्ते पर न ले जा सके, ऐसी ढाल अगर कोई है, तो वो अल्लाह, वाहेगुरु, राम का नाम है। आप जी फरमाया कि नौजवान बच्चे जैसे सोहबत करते हैं, उन पर वैसा ही रंग चढ़ने लगता है। बुरी सोहबत करते हैं, तो बुरा रंग चढ़ता है। जैसे नशे करने वालों का संग किया तो नशेड़ी बनेगा, जुआरियों का संग किया तो जुआरी बनेगा, बेरहमों का संग किया तो बेरहम बनेगा, शैतानों का संग किया तो शैतान बनेगा, इसलिए जरूरी कि ऐसे समय में इन्सान का संग हो, इन्सानियत का संग हो। पूरे घोर कलियुग में, यौवन पर चल रहे बुराई के युग में, इन्सानियत का संग, मानवता का संग अगर किया जा सकता है, तो वो सत्संग है, जहां अल्लाह, वाहेगुरु, राम का नाम लिया जाता है और बदले में कुछ नहीं लिया जाता।


अल्लाह वाहेगुरू को चाहते हो तो उसी को यार बनाओ

पूज्य गुरू जी ने फरमाया कि मालिक को मखौल नहीं समझना चाहिए, उसे खिलौना मत समझो। मालिक का रिश्ता उसी से है, जो उसकी राह पे चलते हैं। सतगुरु, पीरो-मुर्शिदे-कामिल उसी से मुहब्बत करते हैं, जो रूहानियत के रास्ते पे चलते हैं, उनको किसी से कोई गर्ज नहीं होती। सतगुरु, मुर्शिद को आप रिझाना चाहते हो, उस अल्लाह, वाहेगुरु, राम को अगर पाना चाहते हो, तो उसी को यार बनाओ, हर किसी की यारी में न फंस जाओ। एक यार काफी होता है उम्रभर के लिए। किसी शायर ने कहा है कि ‘एक यार काफी होता है उम्रभर के लिए...’ पर यार ऐसा हो, जो कमियां बता के हमारा साथ दे। यार वो नहीं होते, जो आपकी कमियों पे भी वाह-वाह करते हैं। वो तो छुपे हुए दुश्मन होते हैं। अगर कोई अपने मां-बाप की निंदा करे और उसका यार उसे रोक दे कि अरे... रूक! क्या कर रहा है? तू भी तो उसी का खून है! अगर उनको बुरा कह रहा है, लोग तुझे अच्छा कैसे कहेंगे? अगर वो बुरे हैं दुनिया के लिए, पर तेरे तो जन्मदाता हैं, उनको बुरा न कह। अगर झगड़े की नौबत है, अगर वो आपको गलत रास्ते पर चलाते हैं, तो ‘राड़ से बाड़ अच्छी’। किनारा कर लो, पर उनकी निंदा मत कर, उनको बुरा मत कह। तो ‘यार तो एक ही काफी है उम्रभर के लिए’ पर ‘सिर वही है दोनों जहां में फक्र से ऊंचा, जो बन जाता है अल्लाह, वाहेगुरु, राम के सिर्फ एक दर के लिए।’
आप जी ने फरमाया कि आप उस राम, अल्लाह, मालिक से प्यार करो। दुनिया के लोगों की मुहब्बत आपको पदवी नहीं दे सकती। थोड़ी देर की खुशियां, मान-बढ़ाई मिल सकती हैं, लेकिन हमेशा की खुशियां नहीं। हमेशा की खुशियां तो भगवान ही देने वाले हैं। इसलिए दिलो-जान से उसे अपना बना लो, उसे अपना बनाओगे, आप एक कदम चलोगे, वो लाखों कदम चला आएगा और आपके तमाम दु:ख, दर्द, चिंता, पल में मिटा डालेगा।


भगवान का हुक्म  बताते हैं संत
आप जी ने फरमाया कि हुक्म भगवान का होता है और उसे संत बताते हैं। इन्सान का हुक्म मानोगे, तो इन्सान से बदतर बन जाओगे। हां, कोई कहता है कि ‘चल यार, खूनदान करें, कोई मर रहा है...’, तो इन्सान की बात मानो। कोई कहता है कि ‘यार, वो भूखा मर रहा है, चल यार  खाना खिला दें...’, उसकी बात मानो। कोई कहता है कि ‘अंधा खड़ा है, उसको रोड पार करवा दें...’ उसकी बात मानो। कोई कहता है, ‘एक्सीडेंट हुआ पड़ा, चलो उठाकर हॉस्पिटल ले चलें...’, उसकी बात मानो। इसके अलावा कोई स्वार्थी है, अपना फायदा करने के लिए इस्तेमाल करना चाहता है, उसकी बात मत मानो, बल्कि दूर से ही माथा टेक दो, अच्छे रहोगे, भले रहोगे।


इंसान रहिए,जमीर को मरने मत दीजिए
आप जी ने फरमाया कि एक तरह का मौसम आने वाला है। मन भरमाने वाला है और हवाई लड्डू खिलाने वाला है। बच जाएगा, जो सिर्फ मालिक का कहलाने वाला है।  साध संगत को सावधान करते हुए आप जी ने फरमाया कि किसी के इशारों पर मत नाचना, दिलो-जमीर जो कहता है या कोई फकीर जो कहता है, वो बात मान लेना, तो घर में खुशियां आएंगी। आप जी ने फरमाया कि अच्छे को लेकर आओगे तो अच्छे कहलाओगे, अच्छे को लेकर आओगे समाज में बदलाव लाओगे, समाज में बदलाव लाओगे, तो मालिक के नजदीक आओगे। ये दौर ही कुछ ऐसा है, इस दौर में रिश्ते नाते ज्यादा याद आते हैं। आगे पीछे कोई किसी को नहीं पूछता। पर जब मौसम ऐसा आता है तो लोग पांव के हाथ लगाते हैं गधे को बाप कहते हैं। ऐसा भयानक दौर है, हाथ को हाथ खाये जा रहा है। आप जी ने फरमाया कि सत्संग का मतलब यही होता है कि जैसा समय चल रहा होता है उसके बारे में बताना। अगर फकीर नहीं बताएगा तो वह रूहानी फकीर ही नहीं है। आप जी ने फरमाया कि ध्यान से सुनने वाली बात है ललचाइयेगा मत। जब कुत्ता काटने को आता है तो लोग उसे रोटी का टुकड़ा डाल देते हैं। जब मौसम ऐसा आता है तो आपको भी लोग टुकड़े डालेंगे। आप इन्सान हैं कुत्ता मत बन जाना। इन्सान रहिएगा, जमीर को मरने मत दीजिएगा। जमीर है तो सबकुछ है, जमीर नहीं तो कुछ भी नहीं। आप जी ने फरमाया कि वक्त की चाल को पहचानना बहुत जरूरी है, ईश्वर का नाम जपो, मालिक का नाम जपो, अल्लाह, वाहेगुरू, खुदा रब्ब के इश्क में नाचो, उसकी महोब्बत में नाचो, उसके प्यार में नाचो। पर किसी के इशारों पर मत नाचना। आप जी ने फरमाया कि समय का ऐसा भयानक दौर, जिसमें रिश्ते बहुत से बनेंगे, बहुत से बिगड़ेंगे। लेकिन आपका एक रिश्ता जो कभी किसी समय के प्रभाव में नहीं आ सकता, जिसे काल-महाकाल भी नहीं हिला सकता, वो रिश्ता है अल्लाह, वाहेगुरू, सतगुरू मौला का जिसे कभी कोई नहीं बदल सकता। अगर आप हाथ भी छुड़ाओगे तो वो हाथ नहीं छोड़ेगा। इसलिए वो राम कहलाता है। अल्लाह, वाहेगुरू, खुदा रब्ब कहलाता है। ऐसे सतगुरू से मुहब्बत रखो, ऐरे-गैरों की वजह से मालिक से मुख न मोड़ो। तभी खुशियां आती हैं, लगातार रहमतें बरसती रहती हैं।


न नशे करो न करवाओ
आप जी ने फरमाया कि आज के दौर में चारों ओर नशा है। नशे में इन्सानियत पिस  रही है, गर्त में  जा रही है। नशे के व्यापारी अपने व्यापार को बढ़ाने में लगे हुए हैं, छोटे से लेकर बड़े-बड़े लोग लगे हुए हैं क्योंकि नशे में अरबों की आमदन है। बड़ों का कोई नाम नहीं लेता छोटे बेचारे पिस जाते हैं। लेकिन राम तो देख रहा है, अल्लाह, वाहेगुरू तो देख रहा है, एक दिन ऐसा आएगा बुरे कर्म करने वाले छोटे-बड़े सब पिस जाएंगे। जो इन्सानियत पर जुल्म कमाते हैं, इन्सानियत को मारते हैं।
जो इन्सानों को तड़पाते हैं वो तड़प जाएंगे। इसलिए न नशा करो न नशा करवाओ। जब जहर खाते नहीं तो जहर खिलाएं क्यों? नशा करना है तो अल्लाह, वाहेगुरू, राम के नाम का करो। अगर प्रभु के नाम का नशा एक बार चढ़ जाए तो दोनों जहानों में नहीं उतरेगा। अंदर सरुर होगा, चेहरे पर नूर होगा। नशा करना है तो मालिक के नाम का करो, प्रभु के नाम का नशा वो आनंद देता है, वो लज्जत देता है, जिसकी कभी कल्पना नहीं कि जा सकती। वो नजारे मिलते हैं, जो बाजार से खरीदे नहीं जा सकते। मालिक का प्यार उसकी मुहब्बत बेइंतहा खुशियां देने वाली है। अगर आपने नजारा देखना है, तो आप सुमिरन करके देखो। एक कहावत है हींग लगे न फिटकरी रंग चोखा आवे।
आप जी ने फरमाया कि प्रभु के  नाम का सुमिरन करने के लिए धर्म नहीं छोड़ना, परिवार नहीं छोड़ना, कपड़े नहीं बदलना, कोई नोटो-वोटों का चक्र नहीं चलाना। प्रभु का नाम घर में जपो, लेट कर, बैठकर, कामधंधा करते हुए सुमिरन करो तो प्रभु के रहमों कर्म के हकदार आप जरूर बन जाओगे और खुशियों से माला-माल हो जाओगे। 








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