संवर गई करोड़ों जिंदगानियां



                     डेरा सच्चा सौदा की पावन रूहानी स्थापना के 67 सालों का सफर तय

                             डेरा सच्चा सौदा के पावन रूहानी स्थापना दिवस पर विशेष
संदीप कम्बोज
सरसा।जीवों के कल्याण के लिए संतों का अपना-अपना तरीका होता है। समयानुसार इन तरीकों में बदलाव आते रहे हंै लेकिन उनके पिछे संतों का मकसद हमेशा  एक ही होता है और वो है प्राणीमात्र की भलाई। डेरा सच्चा सौदा के संस्थापक पूजनीय सार्इं मस्ताना जी महाराज से शुरू हुआ सृष्टि की भलाई का ये सफर आज भी ज्यों का त्यों जारी है। 29 अप्रैल 1948 को डेरा सच्चा सौदा की स्थापना के बाद पूजनीय बेपरवाह सार्इं मस्ताना जी महाराज ने प्राणीमात्र पर उपकार के लिए अनेक खेल खेले जो उस समय किसी की समझ में नहीं आए। नशों व अन्य सामाजिक बुराईयों में लिप्त लोगों को भगवान से मिलाने के लिए क्या-क्या नहीं किया पूज्य सार्इं जी ने। उस समय आश्रम में सेवादारों व साध-संगत के बीच कुश्ती व कबड्डी के खेल काफी चर्चा का विषय रहे। पूजनीय बेपरवाह जी सेवादारों को आपस में कुश्ती खेलने को कहते। जब सेवादार कुश्ती खेलते तो आप जी विजेता के साथ-साथ हारने वाले सेवादार के गले में भी नोटों की माला डाल देते। कई बार आप जीतने व हारने वाले दोनों प्रतिभागियों को बतौर ईनाम एक-एक रूपया देते। सेवा कार्यों के दौरान जब भी सार्इं जी वहां से गुजरते तो आप जी को देख सेवादार मस्ती में आ जाते तथा बिना कहे ही आपस में कुश्ती लड़ने लगते। पूजनीय बेपरवाह मस्ताना जी महाराज के बाद डेरा सच्चा सौदा की दूसरी पातशाही पूजनीय शाह सतनाम जी महाराज ने भी सत् ब्रहम्चारी सेवादारों के बीच कुश्तियां करवाई ताकि वे तंदरूस्ती के साथ-साथ नशों से दूर रहें। समय बीतता गया और जीवों के कल्याण के लिए मानवता भलाई कार्यों के ग्राफ के साथ-साथ उनके तौर-तरीके भी बदलते गए। स्थापना के 67 साल बाद आज भी डेरा सच्चा सौदा में कुश्ती प्रतियोगिताएं हू-ब-हू जारी हैं। डेरा सच्चा सौदा की तीसरी पातशाही पूज्य गुरू संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां भी हर साल विभिन्न अवसरों पर कुश्ती के साथ-साथ अन्य खेल प्रतियोगिताओं का भी आयोजन करवा रहे हैं। यह इन रूहानी रहबर की पावन प्रेरणाओं का ही नतीजा है कि आज डेरा सच्चा सौदा की साध संगत दुनियाभर में मानवता भलाई के 106 कार्य कर इंसानियत की अलख जला रही है। पूज्य गुरू जी ने जीवों के कल्याण के लिए न केवल रूहानी जाम ‘जाम-ए-इन्सां’ की स्थापना कर पांच करोड़ से भी अधिक लोगों को नशों व मांसाहार अपितु शाह सतनाम जी धाम में शाह सतनाम जी क्रिकेट स्टेडियम का निर्माण करवाया ताकि युवा नशे रूपी दलदल से बाहर निकल खेलों में अपना भाग्य बनाते हुए दुनिया के नक्शे पर हिन्दुस्तान का नाम गर्व से ऊंचा कर सकें। यही नहीं पूज्य गुरू जी ने सामाजिक कुरीतियों व नशों के जड़ से खात्मे के लिए ‘एमएसजी द मैसेंजर’ फिल्म का निर्माण कर रूहानियत में एक नया इतिहास रच डाला। इससे पूर्व पहले आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ जब किसी संत, महापुरूष ने मीडिया का इतने बड़े स्तर पर प्रयोग कर एक साथ करोड़ों लोगों तक संदेश पहुंचाया हो। डेरा सच्चा सौदा ने दुनिया में जबसे राम नाम का डंका बजाया, जो भी मानवता भलाई का कदम उठाया, उसकी गूंज जमानेभर में सुनाई देती चली गई। पूज्य गुरू जी ने सरसा जैसे रेतीले बालू के टीलों में समूचा बालीवुड लाकर खड़ा कर डाला जो किसी ने आज तक सपने में भी नहींं सोचा था। कोई भी फिल्म निर्माता, डायरेक्टर या एक्टर किसी नए हीरो को लेकर फिल्म बनाने से झिझकता है कि कहीं फिल्म फ्लॉप न हो जाए। लेकिन पूज्य गुरू जी की पहली फिल्म ने ही साबित कर दिया कि वे फिल्म जगत के रियल हीरो हैं। पहली ही फिल्म देख बॉलीवुड हस्तियां कहने को मजबूर हो गई कि पूज्य गुरू जी ने वाकई सिनेमा जगत को नई दिशा दी है। दरअसल फिल्में भी उसी उद्देश्य की पूर्ति कर रही हैं जिस उद्देश्य के लिए डेरा सच्चा सौदा की स्थापना हुई थी। डेरा सच्चा सौदा के संस्थापक पूजनीय सार्इं मस्ताना जी महाराज ने स्थापना के वक्त तीन नियम जाड़े थे जिनमें मांसाहर, शराब व अन्य सभी नशों के त्याग के साथ-साथ साफ-सुथरे आपसी संबंधों की बात कही गई थी। पूज्य गुरू जी द्वारा निर्देशित व अभिनित पहली फिल्म ‘एमएसजी द मैसेंजर’ ने भी नशों व अन्य सामाजिक कुरीतियों पर चोट कर समाज को नई दिशा दी। फिल्म को देख दुनियाभर के करोड़ों लोगों ने गंदे से गंदे नशों का त्याग कर सादगीपूर्ण जीवन जीने का प्रण लिया है। आज जब डेरा सच्चा सौदा अपनी 67वीं वर्षगांठ मना रहा है तो अब पूज्य गुरू जी की दूसरी फिल्म ‘एमएसजी-2’ भी बड़े पर्दे पर धमाल मचाने को तैयार है।


भाईचारा बढ़ा, भ्रांतियां खत्म
पूजनीय बेपरवाह सार्इं मस्ताना जी महाराज ने हमेशा ही जीवों को आपसी प्रेम व भाईचारगी का संदेश दिया। आप जी ने पुरातन रूढियों व सामाजिक कुरीतियों की बेड़ियों में जकड़े समाज को रूहानी सत्संगों के माध्यम से जागरूक कर पाखंडवाद त्यागने की अपील की। पूजनीय शाह सतनाम जी महाराज के बाद अब पूज्य गुरू संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां भी समय-समय पर जगह-जगह सत्संग लगाकर न केवल इंसानियत का संदेश देते आ रहे हैं बल्कि आप जी की पावन प्रेरणा से करोड़ों लोग सामाजिक कुरीतियों रूपी बेड़ियों को तोड़कर दुनियाभर में राम नाम की अलख जला रहे हैं। पूज्य गुरू जी ने एक शेर के माध्यम से बड़े ही सुंदर तरीके से समझाया है कि न हिंदू बुरा है,न सिख, ईसाई, मुसलमान बुरा है, जो बुराई पर उतर आए वो इंसान बुरा है। यह पूज्य गुरू जी की पावन शिक्षाओं का ही कमाल है कि आज जमाने से भ्रांतियां खत्म हुई हैं व आपसी प्रेम व भाईचारा बढ़ा है। आज लोग जात-पात, ऊंच-नीच व धर्म मजहब से परे हट सांप्रदायिक सौहार्द का अनूठा उदाहरण पेश कर रहे हैं।

...जब टूटने लगी जात-पात की बेड़ियां
डेरा सच्चा सौदा हमेशा से ही सांप्रदायिक सौहार्द का पक्षधर रहा है। पूज्य सार्इं मस्ताना जी महाराज ने सभी जाति-धर्मों के लोगों को एकसाथ बैठाकर आपस में प्रेम करना सिखाया। आप जी समझाया करते कि सभी एक ही मालिक की संतान हैं। सभी की रगों में एक ही जैसा खून बह रहा है,फिर आपस में भेदभाव क्यों? उन दिनों देश में जात-पात व ऊंच-नीच की भावनाएं बहुत ही प्रबल थी। एक बार पूज्य सार्इं जी जीप पर सवार होकर नोहर से लालपूरा की ओर जा रहे थे। रास्ता कच्चा था तथा आस-पास रेत के बड़े-बड़े टीले थे। पूज्य सार्इं जी ने रास्ते में जीप रूकवाकर पानी पीने की ईच्छा जताई। सेवादारों ने खेत में घास काट रही एक वृद्धा से पानी मांगा तो वह अपनी सुराही लेकर स्वंय पूज्य सार्इं जी के पास चली आई तथा सम्मानपूर्वक कहा कि आप हमारा पानी पी लोगे,हम तो हरिजन हैं। वृद्धा के प्रेम को देखते हुए सार्इं जी ने कहा कि हम भी हरिजन हैं तथा उससे पानी लेकर पी लिया। आज पूज्य गुरू संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के पावन वचनों की बदौलत जमाना बदल रहा है और लोग जात-पात की दीवारों को तोड़ आपस में प्रेम प्यार से रह रहे हैं। यही नहीं लोग बगैर किसी जाति बंधन के अपने बेटे-बेटियों की शदियां भी अन्य जातियों में करने लगे हैं। समाज में घर कर चुकी इस छुआछूत रूपी बीमारी का खात्मा जोरों पर है।


ऐसे ही करेंगे जिंदाराम की मशहूरी
यह बिल्कुल सच है ‘संत वचन पलटे नहीं पलट जाए ब्रहंड’। पूज्य सार्इं बेपरवाह मस्ताना जी महाराज के पावन वचन आज हू-ब-हू पूरे हो रहे हैं। पूजनीय सार्इं जी ने फिल्म के संबंध में कब कहां और क्या वचन किए थे, लुधियाना के न्यू शिमलापुरी स्थित सुखराम नगर निवासी 71 वर्षीय मोहन लाल इन्सां की जुबानी ही सुन लीजिए। मोहनलाल इन्सां बताते हैं कि पूज्य बेपरवाह सार्इं मस्ताना जी महाराज ने वर्ष 1957 में डबवाली में सत्संग फरमाया था तो उस समय वे भी वहां आए थे। सत्संग के उपरांत जब पूज्य सार्इं जी खुली जीप में सवार होकर सड़क से गुजर रहे थे तो रास्ते में एक स्थान पर कुछ लोग लकड़ी के बांस बांधकर ढोल-बाजों के साथ एक सिगरेट की मशहूरी की शूटिंग कर रहे थे। उन्हें देखकर पूज्य सार्इं जी कुछ देर के लिए रूके व साथ के सेवादारों से पूछा,‘वरी ये कया हो रहा है।’ सेवादारों ने बताया,‘सार्इं जी, ये पाशन शो की सिगरेट की मशहूरी की शूटिंग कर रहे हैं। इस पर बेपरवाह सार्इं मस्ताना जी महाराज ने फरमाया कि भई, ‘ये तो पाशन शो की सिगरेट की मशहूरी कर हैं, एक समय आएगा हम ऐसे ही जिंदाराम की मूवी की मशहूरी करेंगे। तीसरी बॉडी में आएंगे तो इतना रश होगा कि बंदे पे बंदा गिरेगा।’ जब बीते साल 2014 में पूज्य गुरू संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने एमएसजी द मैसेंजर आॅफ गॉड’ फिल्म की शूटिंग शुरू की तो पूज्य सार्इं मस्ताना जी महाराज
द्वारा किए गए वचन पूरे हो गए। यहां यह भी बता देना जरूरी है कि जब पूजनीय बेपरवाह मस्ताना जी महाराज ने जब ये वचन फरमाए थे तो उस समय सिगरेट की मशहूरी यानि उसके बढ़ावे के लिए शूटिंग चल रही थी लेकिन अब जब ये वचन पूरे हो रहे हैं तो फिल्म ‘एमएसजी द मैसेंजर आॅफ गॉड’ के निर्माण यानि समाज से नशाखोरी के खात्मे की जंग के साथ।


कुश्ती के बहाने रूहानी वर्षा
पूजनीय बेपरवाह सार्इं मस्ताना जी महाराज आश्रम में कई बार सेवादारों की कुश्तियां करवाया करते। सार्इं जी कई बार हारने वाले सेवादारों को जीतने वाले की बजाए अधिक ईनाम दे देते तथा फरमाते कि ‘जैसे यह कुश्ती करते हैं, वैसे ही अपने मन के साथ कुश्ती करो, इन्होंने अपनी क्षमता से अधिक शक्ति वाले से  टक्कर ली है। मन बहुत जबर्दस्त ताकत है। त्रिलोकी के सब जीव इसके कब्जे में हैँ। यह तीन लोक का वकील है। बड़ा फरेबी है यह। इसके न हड्डी है,न मांस। इसने सारी दुनिया को परमेश्वर की याद भुला दी है जो इसके साथ मुकाबला करता है वह बहादुर है। इसलिए मन को कोई भी गलत काम करने का मौका न दें। मन तो चाहता है कि इंसान मालिक का सुमिरन न करे बल्कि विषय-विकारों में लगा रहे। थोड़ा सो,थोड़ा खा, रात को जाग, मन के साथ मुकाबला कर’।


संता-बंता की कबड्डी और एक रूपया
ब्लॉक रामपुर थेड़ी चक्का के गांव भड़ोलेयाआली निवासी 72 वर्षीय संता सिंह इन्सां पुत्र शाम सिंह फिलहाल शाह मस्ताना जी धाम स्थित कैंटीन सेवादार हैं। वे बताते हैं कि पूज्य बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज की ओजस्वी वाणी का हर कोई दिवाना हो जाता था। जो भी एक बार पावन वचन सुन लेते बार-बार आने को मन करता था। वे दोनों भाई भी रोजाना साइकिलों से सफर तय करके आश्रम पहुंचते तथा पूज्य सार्इं जी के पावन वचन सुनते थे। उनके अनुसार पूज्य सार्इं जी जरूरतमंद व गरीबों को नोट व सोना चांदी आदि बांटते रहते थे। एक बार आश्रम में सेवा के दौरान वे अपने भाई बंता के साथ कबड्डी खेल रहे थे तो इतने में अचानक पूज्य सार्इं जी वहां से गुजरे और देखकर मुस्कुराने लगे। पूज्य बेपरवाह जी ने दोनों को बुलाया तथा एक-एक रूपया देते हुए फरमाया वाह भई वाह। संता भी पूज्य गुरू संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां से अनेक बार प्रेम निशानियां प्राप्त कर चुके हैं। पिछले 30 सालों से शाह मस्ताना जी धाम स्थित कैंटीन में बर्तन धोने की सेवा कर रहे संता सिंह का आज भी जज्बा किसी नौजवान से कम नहीं है।



67 साल बाद : महक रही इंसानियत
धरा का सौभाग्य है कि यह कभी पीर पैगंबरों से खाली नहीं रही। हर युग में पीर पैगंबर धरा पर अवतार लेते आए और मानव जगत को रूहानियत, सूफियत की वास्तिवकता का परिचय कराकर राम नाम का डंका बजाया। परम पूजनीय बेपरवाह साईं मस्ताना जी महाराज ने भी सृष्टि की जीर्ण-शीर्ण अवस्था को देखते हुए धरा पर अवतार लिया तथा धर्म, जात, मजहब के फेर में उलझे मानव समाज को इंसानियत का पाठ पढ़ाया। अपने सतगुरू पूज्य सावण सिंह जी महाराज के हुक्म से सर्वधर्म संगम डेरा सच्चा सौदा बनाया। दुनिया को सच की राह पर चलना सिखाते हुए राम-नाम का अनमोल तोहफा देकर मोक्ष मुक्ति का मार्ग दिखलाया। आज डेरा सच्चा सौदा दुनियाभर में राम नाम का डंका बजाते हुए 67वीं वर्षगांठ धूमधाम से मना रहा है।
पूजनीय बाबा सावण सिंह जी महाराज ने पूज्य बेपरवाह मस्ताना जी महाराज को बागड़ का बादशाह बनाकर वर्ष 1946 में राम नाम का डंका बजाने को सरसा भेज दिया। पूज्य बेपरवाह जी सरसा पहुंच गए। वीरान इलाका, उबड़-खाबड़ जमीन, कहंीं कांटेदार झाड़ियां तो कहीं गहरे गड्ढे। पूज्य सार्इं जी ने शहर से दो कि.मी. दूर स्थित सरसा-भादरा मार्ग पर फावड़े का टक लगाकर डेरा बनाने का कार्य आरंभ किया। कुछ ही समय में भव्य और सुंदर डेरा बनकर तैयार हो गया। आप जी ने साध संगत की सुविधा के लिए अनेक मकानों का निर्माण कराया, इमारतें भी बनवाई तथा देशभर में अलग-अलग स्थानों पर आश्रमों का निर्माण कराया। इस दौरान मकान बनाने और गिरवाने का भी सिलसिला भी चलता रहा। दो साल बाद यानि 29 अप्रैल 1948 को आज ही के पावन दिन पूज्य शहंशाह जी ने डेरा सच्चा सौदा की स्थापना की। वर्ष 1960 में पूज्य सार्इं बेपरवाह मस्ताना जी महाराज के चोला बदलने के पश्चात डेरा सच्चा सौदा की दूसरी पातशाही पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज ने आप जी के हुक्मानुसार हरियाणा,पंजाब,उत्तर प्रदेश, राजस्थान व दिल्ली समेत देश के अनेक राज्यों में घर-घर जाकर परमात्मा के नाम का प्रचार किया और वर्तमान में पूज्य गुरू संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां 23 सितंबर 1990 से गुरगद्दी पर विराजमान होने के पश्चात से ही देशभर में राम नाम का डंका बजा रहे हैं। लोग बुराईयां छोड़कर राम नाम ले रहे हैं तथा आज दुनियाभर में राम नाम के आशिकों की संख्या पांच करोड़ का आंकड़ा भी पार कर गई है तथा यह कारवां लगातार बढता ही जा रहा है।


जब सुखदुआ समाज का हुआ उद्धार
समाज के उपहास, उपेक्षा को झेलने के लिए अभिशप्त किन्नरों यानि सुखदुआ समाज की जिंदगी के पीछे के असल दर्द को समझने व इनके जीवन को बदलने की अगर किसी ने सही मायने में पहल की तो वो मानवता भलाई के पुंज सर्व धर्म संगम डेरा सच्चा सौदा सरसा ने। पूज्य माता नसीब कौर जी इन्सां वुमेन वेलफेयर सोसाइटी द्वारा किन्नरों को सामाजिक एवं कानूनी मान्यता दिए जाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका पर 16 अप्रैल 2014 को मुहर लग गई। याचिका में की गई मांग के अनुसार माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में किन्नरों को पहचान के साथ कानूनी दर्जा देने का आदेश देते हुए थर्ड जेंडर यानि लिंग की तीसरी श्रेणी में शामिल करने के आदेश जारी कर दिया। फैसले में वाकई हाशिये पर धकेले जाने वाले किन्नरों को समाज द्वारा कानूनी तौर पर स्वीकार करने का साहस दिखाया गया। लिंग की तीसरी श्रेणी में शामिल होने के साथ ही अब न केवल सुखदुआ समाज को शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश और नौकरियों में आरक्षण मिलेगा बल्कि सरकार उन्हें चिकित्सा व अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध कराएगी। केंद्र और राज्य सरकारें इनकी सामाजिक और लिंगानुगत समस्याओं का भी निवारण करने के साथ-साथ शैक्षणिक संस्थानों व नौकरियों में पिछड़ों को दिया जाने वाला आरक्षण भी प्रदान करेगी और हर तरह के भरे जाने वाले आवेदन फार्मों में लिंग वाले कॉलम में पुलिंग,स्त्रीलिंग के साथ-साथ थर्ड जेंडर यानि तीसरे लिंग का भी जिक्र होगा।


समलैंगिकता बनी अपराध
पूज्य गुरू संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने समलैंगिकता रूपी सामाजिक बुराई को गैरकानूनी, अनैतिक और भारतीय संस्कृति के खिलाफ करार देते हुए सबसे पहले आवाज उठाई तो देशभर में इसके खात्मे के लिए विरोध के स्वर तेज हो गए। पूज्य गुरू  जी ने समझाया कि इंसान को कुदरत के नियमों के जरा भी विपरीत नहीं चलना चाहिए। रिश्ते दो ही जायज हैं, औरत का मर्द से मर्द का औरत से। इसके अलावा कोई भी रिश्ता जायज नहीं है। सभी राज्यों में साध-संगत ने ब्लॉक व जिला स्तर पर जनजागरूकता रैलियां निकाल समलैंगिकता को अपराध घोषित किए जाने के लिए माननीय राष्टÑपति के नाम प्रार्थना पत्र सौंपे। 11 दिसंबर 2013 के दिन  देश की सबसे बड़ी अदालत ने दो वयस्कों के बीच सहमति से बने समलैंगिक रिश्ते को अपराध करार दे दिया। दिल्ली उच्च न्यायालय ने धारा 377  के तहत समलैगिक रिश्ते को गैरआपराधिक कृत्य करार दिया था।

जमाने के लिए प्रेरणास्त्रोत बने नौजवान
पूज्य गुरू संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने युवाओं को इस कदर अध्यात्म व इंसानियत का पाठ पढ़ाया कि आज जमाने में सामाजिक एवं नैतिक क्रांति का आगाज हुआ है। समुची दुनिया में आज करोड़ों युवा मानवता की अलख तो जगा ही रहे हैं बल्कि इंसानियत को भी जिंदा रखे हुए हैं। जमाने से बिल्कुल हटकर इस युवा शक्ति ने खुद भी नशों, अश्लीलता व अन्य सामाजिक बुराईयों से तौबा की साथ ही पथभ्रमित अन्य युवाआें को भी सही रास्ते पर लाने को अग्रसर हैं। दिल में परमपिता परमात्मा की भक्ति का जज्बा रखने वाले मानवता की सेवा में समर्पित ये युवा आज जमाने के लिए प्रेरणास्त्रोत बने हैं। मानवता के कल्याणार्थ जुटे पांच करोड़ लोगों में से 70 प्रतिशत फौज युवाओं की ही है और यह कारवां लगातार बढ़ता ही जा रहा है। आज युवा खुद तो नशों व सामाजिक कुरीतियों के मकड़जाल से बाहर निकले ही हैं साथ ही अन्य लोगों के भी नशे आदि छुड़वाकर उनकी जिंदगी संवार रहे हैं।


उपवास रख गरीबों को दे रहे निवाला
भारत सरकार ने 3 सितंबर 2013 को भूख से लड़ने के लिए दुनिया के सबसे बड़े कार्यक्रम ऐतिहासिक राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक को मंजूरी प्रदान कर गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाली देश की दो तिहाई अबादी के लिए  भारी सब्सिड़ी वाला खाद्यान्न अधिकार के तौर पर प्रदान करने का प्रावधान किया। अब बात अगर डेरा सच्चा सौदा द्वारा शुरू किए गए ‘फूड बैंक’ अभियान की करें तो पूज्य गुरू जी के पावन आवाह्न पर डेरा सच्चा सौदा की करोड़ोें की साध संगत पिछले कई वर्षों से सप्ताह में एक दिन का उपवास रखकर उससे बचाए गए रूपयों से अति गरीब एवं जरूरतमंदों के लिए खाद्य सामग्री के साथ-साथ अन्य घरेलू जरूरत का सामान निस्वार्थ भाव से पूर्णतया नि:शुल्क उपलब्ध करवाती आ रही है। हरियाणा,पंजाब, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, मध्य प्रदेश समेत अन्य सभी प्रदेशों के अलावा दुनिया के कोने-कोने में बैठी साध-संगत हर सप्ताह नामचर्चाओं के दौरान अति गरीब एवं जरूरतमंद परिवारों को पूरे एक महिने का आटा, दाल, चावल, चीनी, तेल, साबुन समेत घरेलू जरूरत का सामान उपलब्ध करवा रही है।


महिला उत्थान को चलाई जा रही मुहिम
शाही बेटियां बसेरा : भू्रण हत्या व लिंग भेद पर रोक लगाने के उद्देश्य से पूज्य गुरूजी ने ऐसी लड़कियां जिनको गर्भ में मार देना था, अपनाया व माँ-बाप की जगह खुद का नाम दिया।
आशीर्वाद : गरीब लड़कियों की शादी में आर्थिक मदद करना।
आत्म सम्मान: महिलाआें के लिए सिलाई, कढ़ाई व अन्य व्यवसायिक प्रशिक्षण केंद्र खोलना।
अभिशाप मुक्ति: दहेज प्रथा रोकना।
ज्ञान कली: लड़कियों की शिक्षा के प्रति लोगों को जागरूक करना।
जीवन आशा: कम उम्र की विधवाआें की शादी करवाना।
नई सुबह: तलाकशुदा युवतियों की शादी करवाना।
शुभदेवी: वेश्यावृत्ति में फंसी युवतियों को गुरू जी बेटी बनाते हैं ईलाज करवाकर, शादी  करके मुख्य धारा में लाते हैं।
कुल का क्राउन : लड़के से ही वंश चलता है, इस भ्रम को दूर करके लड़की शादी करके दुल्हा घर लाएगी व लड़की से वंश चलेगा।

लज्जा रक्षा: बेसहारा औरतों को सहारा देना।
सशक्त नारी: लड़कियों को आत्मरक्षा हेतु प्रशिक्षण देना।
जननी सत्कार: गरीब गर्भवती महिलाआें को पौष्टिक आहार देना व इलाज करवाना।
जननी-शिशु सुरक्षा: गरीब जच्चा-बच्चा का भरण-पोषण करना।
बचाओ संस्कृति: वेश्यावृत्ति के कोठों को कानूनी तौर पर बंद करवाना।
नई किरण: विधवा बहु को बेटी बनाकर उसकी शादी करवाना।
माँ-बेटा सम्भाल: नि:शुल्क कैंप लगाकर गर्भवती महिला व उसके होने वाले बच्चे के लिए स्वस्थ संभाल व विकास के लिए जानकारी व दवाईयां प्रदान करना।
तेजाब पीड़ित लड़कियों की शादी करवाना।
सामूहिक दुष्कर्म पीड़ित लड़कियों की शादी करवाना।






                                              जीवन-परिचय

                                 पूजनीय सार्इं बेपरवाह मस्ताना जी महाराज
जन्म : संवत विक्रमी 1948 (वर्ष 1891)
पूजनीय माता : श्रीमती तुलसां बाई जी
पूजनीय पिता : श्री पिल्ला मल्ल जी
गांव : कोटड़ा, तहसील गंधेय, रियासत कुलैत (बिलोचिस्तान)वर्तमान में पाकिस्तान
बचपन का नाम : पूज्य श्री खेमामल्ल जी
गुरू जी : पूजनीय सावण शाह जी महाराज
सरसा आगमन : वर्ष 1946
डेरा सच्चा सौदा की स्थापना : 29 अप्रैल 1948
गुरूमंत्र देना : आप जी ने हरियाणा, पंजाब, दिल्ली व राजस्थान समेत अनेक प्रांतों में रूहानी सत्संग के माध्यम से हजारों जीवों को नाम की अनमोल दात प्रदान की।
आश्रम निर्माण : आप जी ने अपनी पावन रहनुमाई में जिला सरसा के अलावा हरियाणा व पंजाब में अनेक स्थानों पर आश्रमों का निर्माण करवाया। इस दौरान कई स्थानों पर आश्रमों को तोड़ने व फिर से बनाने का सिलसिला भी चला।
उत्तराधिकारी : पूजनीय शाह सतनाम सिंह जी महाराज
ज्योति जोत : 18 अप्रैल 1960




                                              जीवन-परिचय
                            पूजनीय शाह सतनाम सिंह जी महाराज
जन्म : 25 जनवरी 1919
पूजनीय माता : पूजनीय आसकौर जी। धार्मिक, सात्विक गुणों से भरपूर एक महान् शख्सियत।
पूजनीय पिता : सरदार वरियाम सिंह जी। जो एक रसूखदार जैलदार की हैसियत के स्वामी थे।
बचपन का नाम : सरदार हरबंस सिंह जी
गांव : श्री जलालआणा साहिब, तहसील डबवाली, जिला सरसा (हरियाणा)।
गुर जां : बेपरवाह सार्इं शहनशाह मस्ताना जी महाराज
नाम-शब्द प्राप्ति : 14 मार्च सन् 1954, डेरा सच्चा सौदा, अनामीधाम, घुकांवाली, जिला सरसा
गद्दीनशीनी : 28 फरवरी 1960
पहला सत्संग : 10 जून 1962 गांव झुम्बा, जिला भटिंडा (पंजाब)
गुरुमंत्र देना : आप जी ने पूरे तीन साल बाद जीवों को गुरुमंत्र प्रदान करना शुरू किया। आप जी ने 18 अप्रैल 1963 को बेपरवाह मस्ताना जी महाराज के तीसरे भण्डारे के शुभ अवसर पर नाम-दान शुरू किया। आप जी ने 18 अप्रैल 1963 से 26 अगस्त 1990 तक कुल 11 लाख 8 हजार 429 (1108429) जीवों को गुरुमंत्र देकर मोक्ष प्रदान किया।
साहित्य रचना : आप जी पंजाबी और हिंदी भाषा के विद्वान होने के अलावा उर्दू के भी अच्छे ज्ञाता थे। आप जी ने अपनी महान रचनाओं में कई पवित्र ग्रंथों की रचना की है, जो हिंदी व पंजाबी भाषा में अंकित है। आप जी की महान रचनाओं में ‘बंदे से रब्ब’ हिंदी व पंजाबी में प्रकाशित भाग पहला व दूसरा अनुपम कृतियां हैं। इसके अलावा ‘सचखंड की सड़क’ भाग एक व दो तथा कई भजनों की पुस्तकें हैं, जो ‘सतलोक का संदेश’ व ‘सचखंड दा संदेशा’ व ‘सचखंड दी सड़क’ सहित कई रचनाएं शामिल हैं।
आश्रम निर्माण : आप जी ने अपने जीवनकाल में जहां बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज द्वारा स्थापित 23 विभिन्न आश्रमों की सार-संभाल करते हुए उनका विस्तार-कार्य करवाया, वहीं अपनी पावन रहनुमाई में उत्तरप्रदेश राज्य में ‘बरनावा आश्रम’ (पूज्य हजूर पिता जी ने बाद में इस आश्रम का नाम ‘शाह सतनाम जी आश्रम, बरनावा’ कर दिया है।) की स्थापना करके वहां की साध-संगत पर महान कर्म अता किया है।
उत्तराधिकारी : मौजूदा पूज्य गुरू संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां।
ज्योति जोत : 13 दिसम्बर 1991






                                                             जीवन-परिचय
                                       पूज्य गुरू संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां
जन्म : 15 अगस्त 1967
पूजनीय माता : पूज्य माता नसीब कौर जी इन्सां, प्रभु, परमेश्वर में असीम श्रद्धा रखने वाली महान शख्सिहत
पूजनीय पिता :  नम्बरदार सरदार मग्घर सिंह जी जो प्रभु के प्यारों,भक्तों व साधुजनों की जी-जान से सेवा करते थे।
गांव : श्री गुरूसर मोडिया, जिला श्री गंगानगर ( राजस्थान)
गुरू जां : पूजनीय शाह सतनाम जी महाराज
नाम-शब्द प्राप्ति : मार्च 1974 के मासिक सत्संग के दौरान
आश्रम निर्माण : आप जी ने अपनी पावन रहनुमाई में हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, महाराष्टÑ, कर्नाटक समेत देशभर के विभिन्न प्रांतों में अनेक आश्रमों का निर्माण करवाया। 
गुरुमंत्र देना : पूज्य गुरू जी ने पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्टÑ, कर्नाटक, उड़ीसा, आंध्र प्रदेश, समेत अनेक प्रांतों के बड़े शहरों व कस्बों में सत्संग लगाकर लाखों लोगों की बुराईयां छुड़वाकर ईश्वर की सच्ची भक्ति का भेद बताया। 23 सितंबर 1990 से अब तक आप जी ने पांच करोड़ से भी अधिक जीवों को नशे व मांसाहार जैसी बुराईयां छुड़वाकर गुरूमंत्र प्रदान कर संसार सागर से पार किया है और यह सिलसिला लगातार जारी है।
मानवता भलाई : पूज्य गुरू जी की पावन रहनुमाई में डेरा सच्चा सौदा की साध संगत दुनियाभर में मानवता भलाई के 106 कार्य कर रही है। 

एक टिप्पणी भेजें

1 टिप्पणियाँ