रूहानी सत्संग : 24133 नए जीव बने मोक्ष मुक्ति के अधिकारी
भगवान से मिलाता है सत्संग
लाखों की तादाद में पहुंची साध संगत
9 गरीब व जरूरतमंद परिवारों को मिला आशियाना
एक विकलांग को भेंट की गई ट्राई साईकिल
संदीप कम्बोज
सिरसा। सत्संग किसे कहा जाता है। सत् प्लस संग। सत का मतलब सच और संग का मतलब साथ यानि सच का साथ। आज घोर कलियुग का समय है। ऐसे में राम, अल्लाह, गॉड, खुदा, रब का नाम दुनिया से दूर होता जा रहा है। इसलिए संत पीर फकीर मालिक के नाम की चर्चा करते हैं। जहां अल्लाह,मालिक, गॉड खुदा रब का नाम लिया जाता है उसे सत्संग कहते हैं। उक्त अनमोल वचन पूज्य गुरू संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने पावन अगस्त माह के अंतिम दिन रविवार सुबह शाह सतनाम जी धाम में आयोजित रूहानी सत्संग के दौरान फरमाए। पूज्य गुरू जी ने फरमाया कि सत्संग का मतलब पैसे इक्ट्ठे करना नहीं है,सत्संग का मतलब किसी का दिल दुखाना नहीं है। सत्संग में मालिक को पाने का तरीका बताया जाता है। सत्संग रीत बताता है, भगवान से मिलाता है। सत्संग में सच्चा धन कौन सा है बताया जाता है। रूहानी सत्संग से पूर्व पूज्य गुरू जी ने 24133 नए जीवों को नाम की अनमोल दात प्रदान कर मोक्ष मुक्ति का अधिकारी बनाया। सत्संग के उपरांत हजारों की तादाद में साध-संगत ने रूहानी जाम (जाम-ए-इन्सां)ग्रहण कर बुराईयां त्यागकर नेकी भलाई के कार्य करने का प्रण लिया। इसके अलावा सामाजिक कुरीतियां व बुराईयां त्यागने की मुहिम में भी लाखों की तादाद में पहुंची साध संगत ने पूज्य गुरू जी के आवाह्न पर हाथ खड़े कर एक साथ 15 प्रण लिए। इसके अलावा पूज्य गुरू जी ने डेरा सच्चा सौदा द्वारा चलाई जा रही ‘आशियाना’ मुहिम के तहत विभिन्न ब्लॉकों की साध संगत द्वारा बनाए गए 9 अति गरीब व जरूरतमंद परिवारों को मकानों की चाबियां भी अपने पवित्र कर कमलों से भेंट की तथा मकान निर्माण में सेवा करने वाली साध संगत को अपने पावन आर्शिवाद से नवाजा। सत्संग के दौरान ही विकलांगों के कल्याणार्थ चलाई जा रही ‘साथी’ मुहिम के तहत शाह सतनाम जी गर्ल्ज स्कूल द्वारा सरसा के गांव चामल निवासी पवन पुत्र सादुल सिंह को ट्राई साईकिल भी भेंट की गई। पूज्य गुरू जी द्वारा निशक्त व विधुरों के जीवन में नया सवेरा लाने के उद्देश्य से शुरू की गई मुहिम के तहत रविवार को दो और युवतियों ने लिखित में फार्म भरकर संकल्प लिया। सत्संग के दौरान चंद मिनटोें में ही अनेक नवयुगल विवाह बंधन में बंध गए तथा लाखों की तादाद में पहुंची साध संगत को चंद ही मिनटों में लंगर भोजन खिला दिया गया। रूहानी सत्संग में हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश,बिहार के अलावा देश के सभी राज्यों व विभिन्न देशों की साध-संगत ने हिस्सा लिया।
पूज्य गुरू जी ने फरमाया कि दुनिया में लोग पगला चुके हैं। अपना उल्लू सीधा करने के लिए भाई-भाई का दुश्मन बना है। पैसे के लिए लोग दूसरों की जान तक लेने में तुले हैं। क्या ये पैसा सच्चा धन है ? क्या इससे आत्मिक शांति हासिल की जा सकती है? क्या इससे सुप्रीम पॉवर को पाया जा सकता है ? आप जी ने फरमाया कि ये सारा पैसा यहीं कमाया जाता है, यहीं छोड़ के जाना है। एक ऐसा भी धन है जिसे चोर चुरा नहीं सकता, डाकू लूट नहीं सकता कोई छीन नहीं सकता और वह इस जहान के साथ-साथ अगले जहान में भी काम आता है और वो धन है राम नाम का धन, अल्लाह की इबादत का धन। गुरू मुर्शिद जो पूर्ण होता है वही ऐसा धन देता है जिससे आनंद ही आनंद और लज्जत ही लज्जत मिलती है। आप ही नहीं आपका पूरा परिवार नजारे लूटता है। पूज्य गुरू जी ने फरमाया कि गुरू जब गुरूमंत्र देता है तो वह जीव के दोनों जहान का जिम्मेवार बन जाता है। गुरू का काम सबका भला करना,सबका भला मांगना होता है। कभी कर्म बुरे न करो, सबका भला करो, भला संग करो यकीनन भगवान आपका भला जरूर करेंगे।
सिरसा। सत्संग किसे कहा जाता है। सत् प्लस संग। सत का मतलब सच और संग का मतलब साथ यानि सच का साथ। आज घोर कलियुग का समय है। ऐसे में राम, अल्लाह, गॉड, खुदा, रब का नाम दुनिया से दूर होता जा रहा है। इसलिए संत पीर फकीर मालिक के नाम की चर्चा करते हैं। जहां अल्लाह,मालिक, गॉड खुदा रब का नाम लिया जाता है उसे सत्संग कहते हैं। उक्त अनमोल वचन पूज्य गुरू संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने पावन अगस्त माह के अंतिम दिन रविवार सुबह शाह सतनाम जी धाम में आयोजित रूहानी सत्संग के दौरान फरमाए। पूज्य गुरू जी ने फरमाया कि सत्संग का मतलब पैसे इक्ट्ठे करना नहीं है,सत्संग का मतलब किसी का दिल दुखाना नहीं है। सत्संग में मालिक को पाने का तरीका बताया जाता है। सत्संग रीत बताता है, भगवान से मिलाता है। सत्संग में सच्चा धन कौन सा है बताया जाता है। रूहानी सत्संग से पूर्व पूज्य गुरू जी ने 24133 नए जीवों को नाम की अनमोल दात प्रदान कर मोक्ष मुक्ति का अधिकारी बनाया। सत्संग के उपरांत हजारों की तादाद में साध-संगत ने रूहानी जाम (जाम-ए-इन्सां)ग्रहण कर बुराईयां त्यागकर नेकी भलाई के कार्य करने का प्रण लिया। इसके अलावा सामाजिक कुरीतियां व बुराईयां त्यागने की मुहिम में भी लाखों की तादाद में पहुंची साध संगत ने पूज्य गुरू जी के आवाह्न पर हाथ खड़े कर एक साथ 15 प्रण लिए। इसके अलावा पूज्य गुरू जी ने डेरा सच्चा सौदा द्वारा चलाई जा रही ‘आशियाना’ मुहिम के तहत विभिन्न ब्लॉकों की साध संगत द्वारा बनाए गए 9 अति गरीब व जरूरतमंद परिवारों को मकानों की चाबियां भी अपने पवित्र कर कमलों से भेंट की तथा मकान निर्माण में सेवा करने वाली साध संगत को अपने पावन आर्शिवाद से नवाजा। सत्संग के दौरान ही विकलांगों के कल्याणार्थ चलाई जा रही ‘साथी’ मुहिम के तहत शाह सतनाम जी गर्ल्ज स्कूल द्वारा सरसा के गांव चामल निवासी पवन पुत्र सादुल सिंह को ट्राई साईकिल भी भेंट की गई। पूज्य गुरू जी द्वारा निशक्त व विधुरों के जीवन में नया सवेरा लाने के उद्देश्य से शुरू की गई मुहिम के तहत रविवार को दो और युवतियों ने लिखित में फार्म भरकर संकल्प लिया। सत्संग के दौरान चंद मिनटोें में ही अनेक नवयुगल विवाह बंधन में बंध गए तथा लाखों की तादाद में पहुंची साध संगत को चंद ही मिनटों में लंगर भोजन खिला दिया गया। रूहानी सत्संग में हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश,बिहार के अलावा देश के सभी राज्यों व विभिन्न देशों की साध-संगत ने हिस्सा लिया।
पूज्य गुरू जी ने फरमाया कि दुनिया में लोग पगला चुके हैं। अपना उल्लू सीधा करने के लिए भाई-भाई का दुश्मन बना है। पैसे के लिए लोग दूसरों की जान तक लेने में तुले हैं। क्या ये पैसा सच्चा धन है ? क्या इससे आत्मिक शांति हासिल की जा सकती है? क्या इससे सुप्रीम पॉवर को पाया जा सकता है ? आप जी ने फरमाया कि ये सारा पैसा यहीं कमाया जाता है, यहीं छोड़ के जाना है। एक ऐसा भी धन है जिसे चोर चुरा नहीं सकता, डाकू लूट नहीं सकता कोई छीन नहीं सकता और वह इस जहान के साथ-साथ अगले जहान में भी काम आता है और वो धन है राम नाम का धन, अल्लाह की इबादत का धन। गुरू मुर्शिद जो पूर्ण होता है वही ऐसा धन देता है जिससे आनंद ही आनंद और लज्जत ही लज्जत मिलती है। आप ही नहीं आपका पूरा परिवार नजारे लूटता है। पूज्य गुरू जी ने फरमाया कि गुरू जब गुरूमंत्र देता है तो वह जीव के दोनों जहान का जिम्मेवार बन जाता है। गुरू का काम सबका भला करना,सबका भला मांगना होता है। कभी कर्म बुरे न करो, सबका भला करो, भला संग करो यकीनन भगवान आपका भला जरूर करेंगे।
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