आओ भूख से मिलकर लड़ें जंग


एक दुनिया भूख के बिना, ऐसी दुनिया जहां सारे सात अरब लोगों को रोटी मिले, ऐसी दुनिया सिर्फ सपना नहीं, बल्कि ये संभव है। इस सपने को हकीकत में बदलने के लिए जुटे हैं डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरू संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां। गरीब, भूखे लाचारों व जरूरतमंद परिवारों पर महापरोपकार करते हुए पूज्य गुरू जी ने फूड बैंक की स्थापना की है जिसके तहत डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत अपने-अपने क्षेत्रों में हफ्ते में एक दिन का उपवास रख गरीबों व जरूरतमंद भूखे लोगों को हर माह निवाला उपलब्ध करवा रही है।

                                                   विश्व खाद्य दिवस पर विशेष
अभियान। गरीब, लाचारों व जरूरतमंदों को भोजन व अन्य घरेलू जरूरत का सामान उपलब्ध करवा रही डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत

                        ...भूख से जाने न देंगे जिंदगी

दो अरब से भी अधिक लोग कुपोषित हैं पुरी दुनिया में
कुपोषण से देश में हर साल 10 लाख बच्चे तोड़ देते हैं दम
हरियाणा, राजस्थान व उत्तर प्रदेश में हर पांच में से दो बच्चे हैंं कुपोषण का शिकार
भारत में कुपोषण पर संयुक्त राष्टÑ ने भी जताई है चिंता
कैग की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में हर बच्चा कुपोषित


खून की कमी की शिकार हैं हिन्दूस्तान की आधी महिलायें
हर साल 88 हजार महिलाओं की प्रसव या उससे जुड़े कारणों से हो जाती है मौत
70 फीसदी नवजात शिशु भी तोड़ देते हैं दम
सरसा(संदीप कम्बोज)। क्या दुनिया में ऐसा जीव है जो बिना खाना खाए जीवित रह पाता हो, शायद नहीं? यह सच है कि जिंदा रहने, शरीर को स्वस्थ व निरोगी रखने के लिए भोजन बहुत ही जरूरी है लेकिन क्या आप जानते हैं दुनिया में भुखमरी के शिकार जितने लोग हैं, उनमें से एक चौथाई अकेले हिन्दुस्तान में हैं। खुद को उभरती हुई आर्थिक शक्ति मानकर गर्व करने वाले भारत के लिए यह खबर बेहद शर्मनाक है। इस पृथ्वी पर इतना अन्न पैदा होता है कि सभी पेट भरकर खा सकते हैं लेकिन देश व दुनियाभर में हो रही अन्न व अन्य खाद्यान्न की बर्बादी ने बेवजह भूखमरी के हालात पैदा कर दिए हैं। स्थिति इतनी भयावह है कि एक तरफ तो सरकारी गोदामों में लाखों टन अनाज सड़ रहा है वहीं दूसरी तरफ कई स्थानों पर अन्नदाता खुद अन्न के दाने-दाने को मोहताज हंै। भूख के मारे बच्चे कुपोषण का शिकार हो रहे हैं और यही नहीं गरीबी के चलते पौष्टिक आहार न मिल पाने से गर्भवति महिलाएं तक दम तोड़ रही हैं। भारत में कुपोषण से हो रही मौतों पर संयुक्त राष्ट्र ने भी चिंता जताई है। संयुक्त राष्टÑ का कहना है कि भारत में हर साल कुपोषण के कारण मरने वाले पांच साल से कम उम्र वाले बच्चों की संख्या दस लाख से भी ज्यादा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर इस ओर ध्यान दिया जाए तो इन मौतों को रोका जा सकता है। वहीं कैग की वर्ष 2012 की रिपोर्ट भी बड़ी ही चौंकाने वाली है। रिपोर्ट के मुताबिक जहां बिहार में लगभग हर बच्चा कुपोषित है वहीं दिल्ली, ओड़िसा व आंध्र प्रदेश में हर दूसरा बच्चा कुपोषित है। इसके अलावा  राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, झारखंड में हर पांच में से दो बच्चे कुपोषण का शिकार हैं। उधर कर्नाटक, गुजरात, केरल, वेस्ट बंगाल, त्रिपुरा, पंजाब, तमिनाडू में भी हर तीसरा बच्चा कुपोषित है।
कुपोषण के मामले में गुजरात देश में सबसे कुपोषित राज्यों में दसवें स्थान पर है लेकिन अति-कुपोषित के मामले में वो दूसरे स्थान पर है।एक रिपोर्ट के मुताबिक 2014 में दुनिया भर में साढ़े अस्सी करोड़ ऐसे लोग हैं जिनके पास पर्याप्त खाना नहीं है, वहीं करीब दो अरब लोग कुपोषित हैं।
 भूख से किसी की मौत न हो, जच्चा-बच्चा सलामत रहें, इसके लिए मानवता भलाई कार्यों में अग्रणीय सर्वधर्म संगम डेरा सच्चा सौदा मानवता के नाते आगे आया है। पूज्य गुरू संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन रहनुमाई में डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत आज दुनियाभर में फूड बैंक स्थापित कर भूखे, अंगहीन, लाचारों को दो वक्त की रोटी नियमित उपलब्ध करवा रही है। यह जमाने के लिए एक मिसाल ही है कि डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत दुनियाभर में लाखों गरीब, जरूरतमंद व लाचार परिवारों के लिए सहारा बनी है।


कुपोषण की कहानी, आंकड़ों की जुबानी

राज्य- कुपोषित- अतिकुपोषित(6 महीने से लेकर 6 साल के बच्चों में मार्च 2012 तक)
बिहार- 82.12 -25.94
ओडिसा- 50.43 - 0.82
दिल्ली- 49.91 - 0.03
आंध्र प्रदेश- 48.72 -0.08
राजस्थान- 43.13- 0.33
हरियाणा- 42.94 - 0.05
उत्तर प्रदेश- 40.93 - 0.21
झारखंड- 40.00 - 0.70
कर्नाटक- 39.50 - 2.84
गुजरात- 38.77 - 4.56
केरल- 36.92 - 0.08
पंजाब-33.63-0.05
नोट सभी आंकड़े (% में)

क्या है फूड बैंक
डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत सप्ताह में एक दिन उपवास रखकर उस दिन के हिसाब से बचाए गए धन से अति गरीबों, लाचारों, विकलांगोें व जरूरतमंद परिवारों को राशन व अन्य घरेलू जरूरत का सामान वितरित करती है। देश व दुनिया के विभिन्न देशों में साध संगत ने ब्लॉक स्तर पर फूड बैंक बनाए हैं जहां राशन व अन्य घरेलू जरूरत का सामान एकत्रित किया जाता है। साध-संगत अपने-अपने क्षेत्र में गरीबों, लाचारों व जरूरतमंदों की पड़ताल करती है जिसके लिए बकायदा टीमें बनाई गई हैं। जब भी साप्ताहिक नामचर्चा होती है तो उस दौरान इस खाद्य सामग्री व जरूरत के सामान को गरीब जरूरतमंद परिवारों में वितरित कर दिया जाता है। खाद्य सामग्री में आटा, चावल, चीनी, दाल, नमक, मिर्च, हल्दी, मसाले, साबुन, सर्फ, बर्तन, कुकर के अलावा अन्य घरेलु जरूरत का सामान रहता है।


...ताकि सुरक्षित रहें जच्चा-बच्चा
मददगार बनी जननी सत्कार व जननी-शिशु सुरक्षा
गरीब गर्भवति महिलाओं व शिशुओं को पौष्टिक आहार उपलब्ध करा रही साध-संगत

सरसा। यह एक पीड़ा देने वाला तथ्य है कि हर साल देश में 88 हजार महिलाओं की प्रसव या उससे जुड़े कारणों से मृत्यु हो जाती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक हिन्दूस्तान की आधी महिलायें खून की कमी की शिकार हैं और उन्हें गरीबी और भेदभाव के कारण पोषण का हक नहीं मिल रहा है, महिलाओं की यह स्थिति उनके अपने जीवन के लिए संकट तो है ही साथ ही उनके गर्भ में पनप रहे जीवन के लिए भी उतना ही बड़ा खतरा है। पोषण और स्वास्थ्य के अधिकार के अभाव में उनके जीवन पर अनिश्चितता के घने बादल छाए रहते हैं। इस मसले पर किये गए एक अध्ययन से पता चला कि मातृत्व मृत्यु की स्थिति में 70 फीसदी नवजात बच्चों या शिशुओं की भी मृत्यु हो जाती है। डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरू संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने गर्भवति महिलाओं व उनके पेट में पल रहे बच्चों की सेहत का ख्याल रखते हुए जननी सत्कार व जननी-शिशु सुरक्षा मुहिम की शुरूआत की है जिसके तहत साध-संगत अपने-अपने ब्लॉकों में गरीब व जरूरतमंद गर्भवति महिलाओं को पौष्टिक आहार के साथ-साथ उनका इलाज भी करवा रही हैं। जननी-शिशु सुरक्षा मुहिम के तहत गरीब जच्चा-बच्चा का भरण-पोषण किया जा रहा है।


भोजन बर्बाद न करने की खाई है कसम
पूज्य गुरू संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन रहनुमाई में डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत ने भोजन आवश्यक्तानुसार लेने का भी संकल्प लिया है। डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत ने विगत 14 अगस्त 204 को शाह सतनाम जी धाम में आयोजित रूहानी मजलिस के दौरान प्रण लिया था कि भोजन हमेशा आवश्यकता अनुसार लेंगे, कभी भोजन की बर्बादी नहीं करेंगे।



तो आप भी लें संकल्प
कोई बिना खाए सो रहा है, कोई भूख की वजह से मर रहा है। इंसानियत के नाते यह हमारा फर्ज व नैतिक दायित्व बनता है कि हम गरीब,लाचार,बेसहारा व जरूरतमंद को भोजन उपलब्ध करवाएं जो किसी कारणवश काम करने में असमर्थ हैं। तो आओ आज विश्व खाद्य दिवस के अवसर पर मिलकर कसम खाएं कि आज से हम सप्ताह में एक दिन का उपवास रखकर उससे बचाए गए धन से गरीब,लाचार, अपाहिज व जरूरतमंद की मदद करते हुए उन्हें खाना व जरूरत का सामान उपलब्ध करवाएंगे।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ