सिनेमा में रूहानीयत.........संदीप कम्बोज,सिरसा





                              बदला सिनेमा जगत का इतिहास

                         जमाने के लिए प्रेरणास्त्रोत बन रही पूज्य गुरू जी की फिल्मे

 संदीप कम्बोज/सिरसा
अश्लीलता, हिंसा व फुहड़ता की दलदल में धंसे सिनेमा जगत के सकारात्मक सुधार व पथभ्रमित युवा पीढ़ी को सही रास्ते पर लाने हेतू डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरू संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने आवाम पर एक और महापरोपकार करते हुए क्रांतिकारी बदलाव की शुरूआत की है। सामाजिक कुरीतियों के खात्मे के लिए पूज्य गुरू जी ने बड़े पर्दे के माध्यम से जुलाई 2014 में रूहानियत व समाज सुधार फिल्में बनाने का सुनहरा सफर शुरू किया और आखिरकार 13 फरवरी 2015 को वह ऐतिहासिक दिन आ ही गया जब पूज्य गुरू जी ने समाज से बुराईयोें का खात्मा कर इंसानियत,मानवता भलाई व देशभक्ति का जज्बा पैदा करने का संदेश देती सच्ची घटना पर आधारित एक साफ-सुथरी पारिवारिक फिल्म ‘एमएसजी द मैसेंजर’ का निर्माण कर देश व दुनिया को समर्पित किया। इस ब्लॉकबस्टर मूवी ने बॉक्स आफिस पर खूब धमाल मचाया। परिणामस्वरूप लाखों लोगों ने भयानक से भयानक नशों, शराब, मांसाहार व वेश्यावृत्ति को हमेशा के लिए अलविदा कह डाला। अभी हाल ही में 18 सितंबर को रिलीज हुई पूज्य गुरू जी की दूसरी फिल्म ‘एमएसजी-2 द मैसेंजर’ ने भी समाज के नाम संदेशों की झड़ी लगा दी है। यह फिल्म भी बाल-विवाह जैसी सामाजिक कुरीतियों पर प्रहार करती हुई प्रतीत हो रही है। फिल्म में मुख्यत: आदिवासीयों की बदली जीवनशैली को लेकर संदेश दिया गया है कि भगवान का नाम लेने से अगर आदिवासी लोग अपने आप को बदल सकते हैं तो अन्य क्यों नहीं ? फिल्म में अंधविश्वास पर भी जबरदस्त कटाक्ष किया गया है साथ ही भूत-प्रेतों से न डरने व जीवन में कभी हताश व निराश न होने का भी संदेश है।
एक समय था जब लोग सिनेमा में जाने से झिझकते थे, मां-बेटी या बाप-बेटा एक साथ कभी भी सिनेमा नहीं जाते थे। लेकिन इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी रूहानी रहबर ने वक्त की नजाकत को समझा और साफ-सुथरी पारिवारिक व प्रेरणादायक फिल्मों का निर्माण किया। सिनेमा जगत का इतिहास आज खुद हैरान है मां-बेटी, बाप-बेटा, दादा-दादी व पूरे परिवारों को एक-साथ सिनेमा हॉल के भीतर देखकर। किसी भी सिनेमाघर पर चले जाइए बाहर टिकटों के लिए मारामारी लगी है। पीवीआर के बाहर
लगी 150-150 मीटर लंबी लाईनें व एक-एक सप्ताह तक की एडवांस बुकिंग देखकर स्पष्ट है कि स्वस्थ मनोरंजन को दर्शक बेहद पसंद करते हैं।
यहां बता दें कि पूज्य गुरू जी द्वारा बनाई जा रही फिल्में वास्तव में ही समाज में बदलाव की इबारत लिख रही हैं। एमएसजी द मैसेंजर जहां लाखों लोगों की जिंदगी में नया सवेरा लेकर आई वहीं एमएसजी-2 द मैसेंजर देखकर लोग जीवन में एक-दूसरे की मदद करने का प्रण लेने के साथ ही पाखंडवाद त्यागने का संकल्प ले रहे हैं।


                    फिल्मी दुनिया में आई नई क्रांति

इतिहास गवाह है कि इस धरा पर जितने भी रूहानी पीर-फकीर सूफी संत आए, सभी ने समयानुसार अपने-अपने तरीके से समाज को नई दिशा दी। किसी संत-महापुरूष ने अपनी ओजस्वी वाणी से तो किसी ने सत्संग तो किसी ने जागरूकता अभियान के माध्यम से सामाजिक बुराईयों व कुरीतियों के बढ़ते प्रभाव के विरूद्ध आवाज उठाकर आवाम को समाज में फैली बुराईयों से  निजात दिलाई। इस दौरान उन्हें बुराई के नुमार्इंदों का विरोध भी झेलना पड़ा, तरह-तरह की यातनाएं सहनी पड़ी लेकिन सच्चाई की खातिर वे अडिग रहे और समाज में नैतिक क्रांति की मजबूत नींव रखकर ही दम लिया। नशों, वेश्यावृत्ति, भ्रष्टाचार, समलैंगिकता व अनेक सामाजिक कुरीतियों के मकड़जाल में धंसे वर्तमान समाज को गंदगी से निकालने व उन्हें नई दिशा देने हेतू सर्वधर्म संगम डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरू संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां भी अरसे से प्रयत्नशील हैं। पूज्य गुरू जी रूहानी सत्संगों, जनजागरूकता रैलियों व सफाई अभियानों के माध्यम से दुनिया को बुराईयां त्यागकर स्वच्छ समाज का निर्माण करने बाबत जागरूक करते आ रहे हैं। और अब जब जमाना करवट ले रहा है तो इन रूहानी रहबर ने भी जमाने के साथ चलते हुए ही जमाने को बदलने यानि सच्चाई का डंका बजाने की ठान ली। धर्म, अध्यात्म, विज्ञान, शिक्षा, स्वास्थ्य, खेल व कृषि जगत में देश व दुनिया को अवर्णननीय योगदान देने के साथ-साथ अब पूज्य गुरू जी ने फिल्मों के जरिए हॉलीवुड और बॉलीवुड में एंट्री कर रूहानियत संग फिल्मी दुनिया में एक नई क्रांति का आगाज किया है।


                  जारी रहा परोपकार का सिलसिला

एमएसजी द मैसेंजर की रिलीजिंग के बाद भले ही पूज्य गुरू संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ‘एमएसजी-2 द मैसेंजर’ की शूटिंग में व्यस्त हो गए लेकिन मानवता भलाई कार्यों का सिलसिला बेतरतीब जारी है। इतनी व्यस्तता के बावजूद भी पूज्य गुरू जी ने मानवता भलाई कार्यों की कड़ी को आगे बढ़ाया और उन्हें 112 तक लेकर आए। शूटिंग के दौरान भी सफाई अभियान व डेरा सच्चा सौदा में लगने वाले रक्तदान शिविरों,जनकल्याणकारी व मुफ्त हक कानूनी सलाह शिविर लगातार जारी रहे। विगत वर्ष 28 अक्तूबर 2014 को जहां महासफाई अभियान के तहत फिल्म नगरी मुंबई का कायाकल्प किया वहीं अभी हाल ही में एक सितंबर 2015 को पानीपत को चकाचक कया गया। इसके अलावा पूज्य गुरू जी शूटिंग के दौरान भी समय निकालकर रूहानी सत्संग भी फरमाते रहते हैं। आप जी समय निकालकर दु:खियों व लाचारों से मिलते रहे। जब एमएसजी-2 द मैसेंजर की शूटिंग जारी थी तो उस दौरान पूज्य गुरू जी ने सरसा के साथ-साथ राजस्थान के भानगढ़ किले, जयपुर व मुंबई समेत दक्षिण भारत के अनेक राज्यों में रूहानी सत्संग फरमाए तथा लोगों को नशों व सामाजिक कुरीतियों के मकड़जाल से बाहर निकालकर गुरूमंत्र की अनमोल दात प्रदान कर मोक्ष मुक्ति का अधिकारी बनाया।


                        हैरतंगेज हैं हाथी व भैंसे वाले स्टंट

आपने फिल्मेें तो बहुत देखी होंगी लेकिन 'एमएसजी-2 द मैसेंजर'  जैसी नहीं। पूज्य गुरू जी कहीं हाथी को उठाकर पटकते हुए तो कहीं धधकती आग के बीच से निकलते हुए दिखाई दे रहे हैं। हाथी, भैंसे व अजगर वाला स्टंट युवाओं व बच्चों को खूब पसंद आ रहा है। इस फिल्म में पूज्य गुरू जी द्वारा हैरतंगेज स्टंट दिखाए गए हैं जो न केवल फिल्म को लोकप्रिय बना रहे हैं बल्कि मनोरंजक भी।

                                कायल कर देती है आवाज

पूज्य गुरू जी की मधुर आवाज के आगे बॉलीवुड भी नतमस्तक है। पूज्य गुरू जी गानों में एकसाथ इतनी आवाजें बोल लेते हैं कि सुनने वाले दंग रह जाएं। हर दिल में धड़कन बनकर बस रही इस सुरीली आवाज को कोई भी सुनता है ,कायल हो जाता है। आमतौर पर सुरों का गैप 12-14 होता है लेकिन पूज्य गुरू जी ने गानों में एक साथ 36 सुरों यानि तीन गुना ज्यादा सुरों का प्रयोग किया है।


                                        लुभा रही मनमोहक पोशाकें

बड़े पर्दे पर जमाने को चौंका रही आदिवासियों के जीवन पर बनाई गई 'एमएसजी-2 मैसेंजर' में मुख्य किरदार के रूप में नजर आ रहे वर्ल्ड के सुपर हीरो पूज्य गुरू संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां का हर अंदाज निराला है। फिल्म में पूज्य गुरू जी द्वारा इस्तेमाल की गई आकर्षक व मनमोहक पोशाकें दर्शकों को खूूब लुभा रही हैं। बता दें कि फिल्म के गानों की शूटिंग के दौरान पूज्य गुरू जी द्वारा सैकड़ों लुभावनी पोशाकों का इस्तेमाल किया गया था और सबसे खास बात ये कि इन सभी मनमोहक ड्रैसों व जूतों की डिजाईनिंग भी स्वंय पूज्य गुरू जी द्वारा ही की गई है।


                                          हॉलीवुड-बॉलीवुड से निमंत्रण

‘एमएसजी द मैसेंजर’ की सफलता के बाद बड़े पर्दे पर धमाल मचा रही ‘एमएसजी-2 द मैसेंजर’ के निर्देशक व अभिनेता पूज्य गुरू संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को बॉलीवुड व हॉलीवुड से भी फिल्मों के आॅफर आने लगे हैं। पूज्य गुरू जी अब एमएसजी-3 की तैयारी में हैं जिसमें धरती के रहस्य से पर्दा उठाया जाएगा। सार्इंस को भी टक्कर देने वाली इस फिल्म में दिखाया जाएगा कि आखिर किस तरह से धरती का निर्माण हुआ? इसके अलावा पूज्य गुरू जी जल्द ही एक कॉमेडी फिल्म का भी निर्माण करने जा रहे हैं। इसके अलावा मोदी सरकार की योजनाओं पर एक सीरियल भी बनाने की तैयारी है।


                                             अंग्रेज भी हुए दिवाने

एमएसजी द मैसेंजर की ही भांति ही एमएसजी-2 द मैसेंजर फिल्म का भी  विदेशों में जबरदस्त क्रेज दिखाई दे रहा है। अंग्रेजों को यह फिल्म भी पहली ही फिल्म की तरह खूब भा रही है। भले फिल्म को अभी देशभर में दो हजार स्क्रीन पर हिंदी भाषा में रिलीज किया गया है। 25 सितंबर को फिल्म अंग्रेजी भाषा में भी रिलीज होने जा रही है। फिल्म को अमरीका, ईटली, न्यूजीलैंड, यूएई, कनाडा, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया सहित विभिन्न देशों में रिलीज किया जाएगा। इसे अलावा जल्द ही फिल्म  तमिल, मलयालम, तेलुगु आदि भाषाओं में भी रिलीज किया जा रहा है।



                         दुनिया का सबसे बड़ा प्रीमियर शो

‘एमएसजी-2 द मैसेंंजर’ दुनिया की पहली ऐसी फिल्म बन गई है जिसके प्रीमियर शो में सर्वाधिक 2 लाख 1 हजार 499 से भी अधिक लोगों ने भाग लेकर विश्व कीर्तिमान स्थापित किया। रिलीजिंग से पूर्व ही फिल्म को इतनी बड़ी उपलब्धि मिलने से समूचा हॉलीवुड व बॉलीवुड जगत हैरान हो उठा। यह विश्व कीर्तिमान एशिया बुक आॅफ रिकॉर्ड में भी दर्ज किया गया है। बता दें कि अब से पूर्व यह रिकॉर्ड अमेरिका की हॉलीवुड फिल्म आॅनर फ्लाई के नाम था जो कि 11 अगस्त 2012 को बनाया गया था लेकिन एमएसजी-2 द मैसेंजर के प्रीमियर में उससे चार गुणा अधिक दर्शकों की उपस्थिति ने उसे कहीं अधिक पीछे छोड़ दिया। इस प्रीमियर शो में फिल्म ने 3.60 करोड़ की कमाई की।

                 सोशल मीडिया पर भी जबरदस्त हिट्स

सोशल मीडिया पर भी एमएसजी-2 द मैसेंजर के टीजर, ट्रेलर व गानों को जबरदस्त हिट्स मिल रहे हैं। अब तक सोशल मीडिया पर लाखों लोगों ने विश्व स्तर पर इसमें रूचि दिखायी है। फेसबुक
हो या ट्विटर या यू-टयूब व गुगल प्लस, सभी साईटों पर एमएसजी-2 द मैसेंजर ने सभी हैशटैग को पीछे छोड़ दिया। ट्विटर पर शुरू हुए एमएसजी से संबंधित सभी हैशटैग को जोरदार लोकप्रियता मिली। फेसबुक पेज पर भी फिल्म के फैन्स का आधार लाखों में पहुंच गया है। अकेले ट्विटर पर अलग-अलग हैशटैग पर चंद दिनों में ही इसके लाखों फालोवर बन चुके हैं। फिल्म को लेकर युवाओं में गजब की दीवानगी छाई है और लाखों युवा फेसबुक, टिवट्र, यू-टयूब, गुगल प्लस समेत विभिन्न सोशल साईटों पर पर अपने-अपने तरीके से फिल्म का प्रचार कर रहे हैं तथा फिल्म के गानों, टीजर व ट्रेलर को देख व सुन रहे हैं। अकेले यू-टयूब पर अब तक 47 लाख से भी अधिक लोग फिल्म का ट्रेलर देख चुके हैं। सोशल मीडिया के अलावा भी हर शहर-गांव में फिल्म की खूब धूम मची है। बच्चे व युवा स्टिकर, टीशर्ट स्कूल बैग समेत विभिन्न तरीके से फिल्म का प्रचार कर रहे हैं।

2015 की पहली टॉप फिल्म ‘एमएसजी द मैसेंजर’
नशों, वेश्यावृत्ति व सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ जमाने को जागरूक करने के उद्देश्य से पूज्य गुरू संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां द्वारा निर्देशित व अभिनीत ‘एमएसजी मैसेंजर साल’ 2015 की सबसे ज्यादा बिजनेस देने वाली पहली ब्लॉक बस्टर मूवी बन गई है। इसके अलावा भी फिल्म ने अनेक नए वि श्व कीर्तिमान स्थापित कर बॉलीवुड व हॉलीवुड जगत में तहलका मचाया है।


एमएसजी-2 की कमाई से बनेगा स्किन बैंक
अक्सर आपने फिल्मों की करोड़ों की कमाई के बारे में सुना होगा। क्या आपने कभी सुना है कि फिल्म बनाने वालों ने फिल्म से हुई कमाई को सामाजिक कार्य में लगाया हो? शायद नहीं ना। लेकिन बॉलीवुड व हॉलीवुड में एकसाथ धूम मचा रही 'एमएसजी-2 द मैसेंजर ' फिल्म से अर्जित होने वाली पूरी आय भी सरसा में बनने जा रहे स्किन बैंक पर खर्च की जाएगी। इस स्किन बैंक मेें तेजाब पीड़ितों का भी मुफ्त इलाज किया जा सकेगा। इससे पूर्व भी पूज्य गुरू जी ने ‘एमएसजी द मैसेंजर’ की कमाई में से 40 लाख का चेक एड्स व थैलीसीमिया बीमारी के जड़ से खात्मे के लिए होने वाली रिसर्च बाबत प्रदान किया था। यहां बता दें कि थैलीसिमया पर रिसर्च जारी है।
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परमार्थी कार्यों के नाम रहा फिल्म का प्रमोशन
बड़े पर्दे पर तहलका मचा रही ‘एमएसजी-2 द मैसेंजर’दुनिया की पहली एसी फिल्म बन गई है जिसने सबसे अधिक प्रमोशन शो कार्यक्रम किए और उनमें से अधिकतर जनकल्याण परमार्थी कार्यों के नाम रहे। फिल्म के प्रमोशन के लिए देश के अनेक शहरों व गांवों में जहां रोड शो व प्रचार रैलियां निकाली गई वहीं अनेक स्थानों पर रक्तदान कैंप, पौधारोपण कार्यक्रम व सफाई अभियान भी चलाए गए। इसके अलावा कई स्थानों पर फिल्म के प्रमोशन अवसर पर जरूरतमंद परिवारों को एक माह का राशन व अन्य जरूरत की सामग्री वितरित की गई।
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हर वर्ग के लिए है एमएसजी-2
इन दिनों बड़े पर्दे पर धूम मचा एमएसजी-2 द मैसेंजर में जहां हाई ड्रामा है वहीं टेग, थ्रिलर, इमोशन, रोमांच के अलावा कॉमेडी भी। फिल्म में प्रयोग किए गए डायलॉग्स जहां कमाल के हैं वहीं पूज्य गुरू जी के जबरदस्त एक्शन व हैरतंगेज स्टंट इस तरह के हैं कि फिल्मी दुनिया का लंबा अनुभव रखने वाले एक्टर भी हैरान हैं। इस फिल्म में भी कॉमेडी के साथ-साथ संस्पेंस है। फिल्म के गीत ‘सपनों में आना तेरा, प्यार लुटाना तेरा जान निकाल ले गया’ को भी युवाओं ने बहुत पसंद किया है।
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यह भी है एक रिकॉर्ड
आमतौर पर देखने में आता है फिल्म रिलीज होने के उपरांत उसका अगला पार्ट चार-पांच साल बाद तैयार हो पाता है। लेकिन फिल्मी दुनिया के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है जब फिल्म रिलीज होने से पहले ही दूसरी फिल्म की शूटिंग शुरू  हो गई हो। ‘एमएसजी द मैसेंजर’ जब 13 फरवरी को रिलीज हुई थी तो उस दौरान एमएसजी-2 द मैसेंजर की शूटिंग का सिलसिला शुरू हो चुका था।


पावन महापरोपकार (गुरगद्दीनश्ीनी ) दिवस पर विशेष
मुकद्दस दिन
23 सितंबर 1990 का पावन दिन डेरा सच्चा सौदा के इतिहास का स्वर्णिम  अध्याय है जब दूसरी पातशाही पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज ने पूज्य गुरू संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को अपना स्वरूप बनाते हुए डेरा सच्चा सौदा के तीसरे पातशाह के रूप में गुरगद्दी पर विराजमान किया। साध-संगत आज गुरगद्दी के 25 साल होने पर यानि सिल्वर जुबली को पवित्र महापरोपकार दिवस के रूप में धूमधाम से मना रही है।
23 सितंबर 1990 से करीब दो दिन पहले पूजनीय परमपिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज ने वचन फरमाए थे कि जैसा हम चाहते थे "बेपरवाह मस्ताना जी ने उससे भी कहीं गुना अधिक गुणवान (सर्वगुण संपन्न) नौजवान हमें ढूंढ कर दिया है। साध-संगत को 50-60 साल तक और किसी की जरुरत नहीं रहेगी। हम उन्हें ऐसा बब्बर शेर बनायेंगे कि जो मुंह तोड़ जवाब देंगे। पहाड़ भी अगर इनसे टकराएगा तो वो भी चूर-चूर हो जायेगा। हमने इन्हें अपना स्वरुप बनाया है। यह वचन मान लेना है। अगर हमारा ये वचन मान लिया तो हम इसे तुम्हारी सर की कुर्बानी मानेंगे,हमारा ये वचन मान लेना है ।’’
ेपरम पिता जी ने इस अवसर पर रूहानी मजलिस के दौरान साध संगत में निम्न के अनुसार अपना हुकुमनामा भी पढ़वाया कि " पूज्य गुरू संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां" को जो शहंशाह मस्ताना जी के हुकुम से बख्शीश की गयी है वह सत्पुरुष को मंजूर थी इसलिए
. जो भी इनसे ( पूज्य हजूर पिता जी से) "प्रेम करेगा वो मानो हमारे से प्रेम करता है "।
.जो जीव इनका हुकुम मानेगा वो मानो हमारा हुकुम मानता है ।
. जो जीव इन पर विश्वास करेगा वो मानो हमारे पर विश्वास करता है।
. जो इनसे भेदभाव करेगा वो मानो हमारे से भेद भाव करता है ।
. ये रूहानी दौलत किसी बाहरी दिखावे पर बख्शीश नहीं की जाती , इस रूहानी दौलत के लिए वो बर्तन पहले से ही तैयार होता है जिसे सतगुरु अपनी नजर मेहर से पूर्ण
करता है और अपनी नजर मेहर से उनसे वो काम लेता है जिसके लिए दुनिया वाले सोच भी नहीं सकते।
पूज्य परमपिता जी ने गुरगद्दी बख्शीश का भी नया इतिहास रचा। इतिहास में ज्यादातर जब कोई महापुरूष संसार से जाते तो वे यह बताकर जाते कि उनके बाद किसको गुरगद्दी दी जाए। लेकिन परमपिता जी ने अपने पावन कर कमलों से साध-संगत से भरे पंडाल में सबके सामने पूज्य गुरू संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां को गुरगद्दी बख्शीश कर अपने साथ स्टेज पर बैठाया और सवा साल हजूर पिता जी के साथ स्टेज पर विराजमान रहे।
पूर्ण सतगुरू कभी भी इस धरती पर आकर नहीं बनते, बल्कि वे धुर दरगाह से ही परिपूर्ण होते हैं और समय आने पर संत सतगुरू ही परमात्मा के हुक्म के अनुसार उनको दुनिया में जाहिर कर देते हैं। पूज्य गुरू संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की बाल अवस्था से ही इलाही नजारों की झलकें मिलती हैं। आप जी का व्यव्हार सभी बच्चों से अलग व बड़ों के लिए प्रेरणास्त्रोत व अद्भुत रहा।
पूज्य गुरू संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने 15 अगस्त 1967 को राजस्थान प्रांत के जिला श्रीगंगानगर के एक छोटे से गांव श्रीगुरूसर मोडिया में अवतार धारण किया। परम पूज्य माता नसीब कौर जी इन्सां व परम पूज्य बापू नंबरदार मग्घर सिंह जी के घर आंगन को आप जी के पावन चरणों की छोह प्राप्त हुई। पूज्य बापू जी को बचपन से ही गांव में रहने वाले संत त्रिवेणी दास ने तो उसी समय यह बता दिया कि आपका बच्चा सामान्य बालक नहीं है बल्कि यह तो परमात्मा का स्वरूप है, इसका पता समय आने पर सभी को चल जाएगा। सारे गांव ने जब पेयजल डिग्गी के निर्माण के लिए त्रिवेणी दास जी को टक लगाने की विनती की तो त्रिवेणीदास जी ने आप जी (पूज्य गुरू जी) के नन्हें कर-कमलों से पेयजल डिग्गी का शिलान्यास करवाया। बचपन की अठखेलियों के बीच तीन-चार पाव मक्खन खा जाना, आधा किलो घी पी जाना, मण के बाट को दूर तक फेंक देना, छोटी उम्र में ही घर के काम काज जैसे खेती बाड़ी के कार्य को संभाल लेना व पूज्य माता जी
से मिली हर वस्तु को अपने सहपाठियों में बांट कर खाना, जरूरतमंद की सहायता करने को हमेशा तैयार रहना आदि कार्य सामान्य जन से अलग करते हुए आपजी के रब्बी गुणों को प्रदर्शित करते रहे लेकिन कोई समझ नहीं पाया। आपजी खेतीबाड़ी कार्य के दौरान ट्रैक्टर चलाते हुए नजर भी न आते और लोगों को लगता कि बिना चालक के ट्रैक्टर दौड़ा चला आ रहा है। पूज्य गुरू जी को बचपन से ही भगवान की भक्ति का शौंक था। आप जी ने बाल अवस्था के दौरान ही 4-5 वर्ष की उम्र में परमपिता शाह सतनाम जी महाराज से गुरूमंत्र की अनमोल दात ग्रहण की तथा निरंतर रूहानी सत्संग पर आते और परम पिताजी का प्यार प्राप्त करते।
पूजनीय परमपिता शाह सतनाम जी महाराज के पावन आदेश पर आप जी ने घर परिवार का त्याग करते हुए 23 सितम्बर 1990 को अपना सर्वस्व परमपिता जी के चरणों में समर्पित कर दिया। छोटे साहिबजादे व छोटी साहिबजादियों को देखकर हर किसी का दिल पसीज जाता लेकिन पूज्य गुरू जी ने अपने मुर्शिदे-कामिल के वचन को ही अपना सब कुछ समझा और मानव कल्याण व जीवोद्धार के लिए डेरा सच्चा सौदा के तीसरे पातशाह के रूप में गुरगद्दी पर विराजमान हो गए। परम पिता शाह सतनाम सिंह जी महाराज ने साध-संगत के समक्ष रूहानी मजलिस में आप जी को डेरा सच्चा सौदा का गद्दीनशीन घोषित करते हुए हुक्मनामा जारी कर अपना रूप घोषित कर दिया।
बेशक दुनिया के हिसाब से देखा जाये तो 23 साल की उम्र पढ़ाई, बच्चों के लालन-पालन व पारिवारिक जिम्मेदारियों की होती है लेकिन पूज्य गुरू जी की विलक्षणता का कोई नाप तौल नहीं है। पूज्य गुरू संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने खेती बाड़ी का ज्यादातर काम 7-10 वर्ष की आयु में ही अपने कंधों पर ले लिया था पूज्य बापू जी को बिलकुल निश्चिन्त कर दिया था और साथ में पढ़ाई भी चलती थी और खेलों में भी बहुत जोर-शोर से भाग लेते थे। पूज्य गुरू संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन रहनुमाई में आज डेरा सच्चा सौदा मानवता भलाई कार्यों में नित नए आयाम स्थापित कर रहा है। मात्र इन 25 वर्ष में डेरा सच्चा सौदा का हर तरफ विकास हुआ है जो कि अपने आप में मिसाल है। मानवता भलाई के कार्य ज्यों की त्यों तूफान मेल रफ़्तार से जारी हैं। चाहे रूहानियत का क्षेत्र हो या मानवता की सेवा का उद्देश्य से किया जा रहा सामजिक और परमार्थी कार्य, डेरा साचा सौदा ने तरक्की करते हुए सब बुलंदियों को छुआ है। पूज्य गुरू जी ने धर्म, जात व मजहब के फेर में उलझी संपूर्ण मानव जाति को न केवल एकता व भाईचारगी का संदेश दिया अपितु नि:स्वार्थ भाव से अपना हर पल मानवता के कल्याणार्थ समर्पण कर दिया। पूज्य गुरू जी ने समाज में रहते हुए ही समाज में व्याप्त कुरीतियों व आडंबरों को भलि-भांति महसूस किया और उन्हें जड़ से खत्म करने के लिए प्रयास किए जो कि निरंतर जारी है। नशों, मांसाहार, वेश्यावृति व अंधविश्वास रूपी दलदल में धंसे समाज को जागरूक कर उन्हें सभ्य व नेक इंसान बनाने के लिए पूज्य गुरू जी ने देश में हजारों सत्संग फरमाए। आप जी ने साढ़े पांच करोड़ से भी अधिक लोगों को राम-नाम से जोड़ा। आप जी ने सिनेमा जगत में प्रवेश करते हुए ‘एमएसजी द मैैसेंजर’ व ‘एमएसजी-2  द मैसेंजर’ फिल्मोंं का भी निर्माण किया। पूज्य गुरू जी ने परोपकार कार्योँ को इस तरह से गति दी कि आज डेरा सच्चा सौदा की साध संगत मानवता भलाई के 112 कार्यों में न केवल बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही है बल्कि डेरा सच्चा सौदा के नाम 42 विश्व रिकार्डस भी दर्ज हैं।

                            हुनर इतने कि गिनते रह जाओगे

 एक-दो नहीं बल्कि ढ़ेर सारी प्रतिभाओं के धनी हैं पूज्य गुरू संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां

प्रतिभावान होना किसी भी व्यक्ति के लिए गर्व की बात होती है। डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरू संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ढ़ेर एक-दो नहीं बल्कि ढ़ेर सारी प्रतिभाओं के धनी हैं अर्थात ‘गागर में सागर’। जिनके बÞद्धि और कौशल को देखकर लोग उनके दीवाने हुए बिना नहीं रह सकते। आध्यात्मिक गुरू होने के साथ-साथ गुरू जी अनेक विधाआेंं में पारंगत हैं । वैसे तो पूज्य गुरू जी की प्रतिभाओं का बखान करना सूर्य को दीपक दिखाने जैसा है लेकिन फिर भी हमने पूज्य गुरू जी कुछ प्रतिभाओं बारे बताने का प्रयास किया है।
आध्यात्मिक गुरू
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ग्रामीण खेलों में माहिर
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नए खेलों के जनक
निशानेबाज
घुड़सवार
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तैराक
गोताखोर
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शाही बेटियां बसेरा
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