सराहनीय। रंग लाई डेरा सच्चा सौदा की मांस विरोधी मुहिम, संयुक्त राष्टÑ संघ ने भी लगाई मुहर ने माना
ब्रिटेन में मांस से कैंसर के सामने आए अनेक मामले
वैधानिक चेतावनी जारी करने पर चल रहा है विचार-विमर्श
सोमवार को हो सकता है बड़ा ऐलान
सरसा(संदीप कम्बोज)। मानवता भलाई कार्यों में अग्रणीय सर्व धर्म संगम डेरा सच्चा सौदा की ऐतिहासिक मांस विरोधी मुहिम का असर अब अंतर्राष्टÑीय स्तर पर भी दिखाई देने लगा है। विश्व का सबसे बड़ा संगठन संयुक्त राष्टÑ संघ(वठड) भी मांस के विरोध में आया है। बीफ और इसके एक्सपोर्ट को लेकर हो रही चर्चा के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (हऌड) ने माना है कि यूरोपीय देशों में कैंसर के मामलों में मांस या गोश्त सबसे ज्यादा जिम्मेदार साबित हुआ है। विश्व स्वास्थ्य संगठन अब मांस को कैंसर के खतरे के तौर पर घातक घोषित करने पर विचार विमर्श कर रहा है। जल्द ही मांस के लिए दुनियाभर में वैधानिक चेतावनी भी जारी की जा सकती है। अगर मांस को इस श्रेणी में रखा जाता है तो वह भी सिगरेट, शराब और एस्बेस्टस वाली श्रेणी में शामिल हो जायेगा। संयुक्त राष्टÑ संघ इस बाबत सोमवार को ऐलान कर सकता है।
बता दें कि डेरा सच्चा सौदा ने वर्षों से देश व दुनियाभर में मांस, शराब व अन्य सामाजिक बुराईयों के खिलाफ मुहिम छेड़ी हुई है जिसके सार्थक परिणाम आ रहे हैं। नतीजा यह है कि आज करोड़ों लोगों ने मांस, शराब, वेश्यावृत्ति के साथ-साथ अनेक सामाजिक कुरीतियों को त्यागने की तौबा की है। परिणामस्वरूप वे स्वंय को तो भयानक से भयानक बीमारियों से बचा ही रहे हैं साथ ही अन्य लोगों की बुराईयां छुड़वाकर परोपकार भी कर रहे हैं।
10 देशों के वैज्ञानिकों ने किया रिसर्च
दुनिया के 10 देशों के जाने-माने वैज्ञानिकों की एक टीम ने लम्बी रिसर्च के बाद यह पाया कि मांस कैंसर के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार है। रिसर्च के बाद मांस के विरोध में दुनिया के अनेक मुल्क एकजुट हो गए हैं। अब विश्व स्वस्थ्य संगठन इस बात की तैयारी कर रहा है कि मीट के पैकेट पर वही चेतावनी लिखी जाए जो सिगरेट या तम्बाकू पर लिखी जाती है यानी मांस कैंसर के लिए जिम्मेदार है।
प्रधानमंत्री ने दिया है पिंक क्रांति का नारा
एक रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटेन में कैंसर के कई मामलों में मांस को जिम्मेदार माना गया है। हिन्दुस्तान में भी पिछले कुछ दिनों से लगातार बीफ पर बहस छिड़ी हुई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनावों के दौरान पिंक क्रांति का नारा भी दिया था। पहली बार इसके लिए गुलाबी क्रांति यानी पिंक रिवॉल्यूशन शब्द का इस्तेमाल हुआ था।
करोड़ों थालियों से गायब हुआ नॉनवेज
डेरा सच्चा सौदा देश ही नहीं दुनियाभर में वर्षों से नशों, शराब, मांसाहार व अन्य सामाजिक कुरीतियों के दलदल में धंसे समाज को जागरूक करने के लिए आवाज उठाता आ रहा है। वर्ष 1948 में डेरा सच्चा सौदा की स्थापना के साथ ही इस सुनहरे सफर की शुरूआत हो गई थी। प्रारंभ में डेरा सच्चा सौदा के संस्थापक पूज्य साईं बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज ने लोगों के नशे शराब व मांसाहार जैसी कुरीतियां छुड़वाकर उन्हें राम नाम से जोड़ा। तत्पश्चात दूसरी पातशाही पूजनीय परमपिता शाह सतनाम जी महाराज ने देश के कोने-कोने में रूहानी सत्संग फरमाए व लाखों लोगों को शराब, मांस व अन्य बुराईयां त्यागने का संकल्प करवाकर उन्हें प्रभु भक्ति के सच्चे मार्ग से जोड़ा। अब पूज्य गुरू संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने दुनियाभर में पांच करोड़ से भी अधिक लोगों को मांस, शराब, नशे व अन्य सामाजिक कुरीतियां छुड़वाकर उन्हें भगवान के नाम से जोड़ा है और यह सिलसिला लगातार जारी है ।
ब्रिटेन में मांस से कैंसर के सामने आए अनेक मामले
वैधानिक चेतावनी जारी करने पर चल रहा है विचार-विमर्श
सोमवार को हो सकता है बड़ा ऐलान
सरसा(संदीप कम्बोज)। मानवता भलाई कार्यों में अग्रणीय सर्व धर्म संगम डेरा सच्चा सौदा की ऐतिहासिक मांस विरोधी मुहिम का असर अब अंतर्राष्टÑीय स्तर पर भी दिखाई देने लगा है। विश्व का सबसे बड़ा संगठन संयुक्त राष्टÑ संघ(वठड) भी मांस के विरोध में आया है। बीफ और इसके एक्सपोर्ट को लेकर हो रही चर्चा के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (हऌड) ने माना है कि यूरोपीय देशों में कैंसर के मामलों में मांस या गोश्त सबसे ज्यादा जिम्मेदार साबित हुआ है। विश्व स्वास्थ्य संगठन अब मांस को कैंसर के खतरे के तौर पर घातक घोषित करने पर विचार विमर्श कर रहा है। जल्द ही मांस के लिए दुनियाभर में वैधानिक चेतावनी भी जारी की जा सकती है। अगर मांस को इस श्रेणी में रखा जाता है तो वह भी सिगरेट, शराब और एस्बेस्टस वाली श्रेणी में शामिल हो जायेगा। संयुक्त राष्टÑ संघ इस बाबत सोमवार को ऐलान कर सकता है।
बता दें कि डेरा सच्चा सौदा ने वर्षों से देश व दुनियाभर में मांस, शराब व अन्य सामाजिक बुराईयों के खिलाफ मुहिम छेड़ी हुई है जिसके सार्थक परिणाम आ रहे हैं। नतीजा यह है कि आज करोड़ों लोगों ने मांस, शराब, वेश्यावृत्ति के साथ-साथ अनेक सामाजिक कुरीतियों को त्यागने की तौबा की है। परिणामस्वरूप वे स्वंय को तो भयानक से भयानक बीमारियों से बचा ही रहे हैं साथ ही अन्य लोगों की बुराईयां छुड़वाकर परोपकार भी कर रहे हैं।
10 देशों के वैज्ञानिकों ने किया रिसर्च
दुनिया के 10 देशों के जाने-माने वैज्ञानिकों की एक टीम ने लम्बी रिसर्च के बाद यह पाया कि मांस कैंसर के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार है। रिसर्च के बाद मांस के विरोध में दुनिया के अनेक मुल्क एकजुट हो गए हैं। अब विश्व स्वस्थ्य संगठन इस बात की तैयारी कर रहा है कि मीट के पैकेट पर वही चेतावनी लिखी जाए जो सिगरेट या तम्बाकू पर लिखी जाती है यानी मांस कैंसर के लिए जिम्मेदार है।
प्रधानमंत्री ने दिया है पिंक क्रांति का नारा
एक रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटेन में कैंसर के कई मामलों में मांस को जिम्मेदार माना गया है। हिन्दुस्तान में भी पिछले कुछ दिनों से लगातार बीफ पर बहस छिड़ी हुई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनावों के दौरान पिंक क्रांति का नारा भी दिया था। पहली बार इसके लिए गुलाबी क्रांति यानी पिंक रिवॉल्यूशन शब्द का इस्तेमाल हुआ था।
करोड़ों थालियों से गायब हुआ नॉनवेज
डेरा सच्चा सौदा देश ही नहीं दुनियाभर में वर्षों से नशों, शराब, मांसाहार व अन्य सामाजिक कुरीतियों के दलदल में धंसे समाज को जागरूक करने के लिए आवाज उठाता आ रहा है। वर्ष 1948 में डेरा सच्चा सौदा की स्थापना के साथ ही इस सुनहरे सफर की शुरूआत हो गई थी। प्रारंभ में डेरा सच्चा सौदा के संस्थापक पूज्य साईं बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज ने लोगों के नशे शराब व मांसाहार जैसी कुरीतियां छुड़वाकर उन्हें राम नाम से जोड़ा। तत्पश्चात दूसरी पातशाही पूजनीय परमपिता शाह सतनाम जी महाराज ने देश के कोने-कोने में रूहानी सत्संग फरमाए व लाखों लोगों को शराब, मांस व अन्य बुराईयां त्यागने का संकल्प करवाकर उन्हें प्रभु भक्ति के सच्चे मार्ग से जोड़ा। अब पूज्य गुरू संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने दुनियाभर में पांच करोड़ से भी अधिक लोगों को मांस, शराब, नशे व अन्य सामाजिक कुरीतियां छुड़वाकर उन्हें भगवान के नाम से जोड़ा है और यह सिलसिला लगातार जारी है ।
1 टिप्पणियाँ
Ruining campaign for the awareness of water saving and drinking pure water is such a great effort. We respect your thought and campaign. We are will you.
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